24 अप्रैल 2011

सत्य साईं बाबा - अध्यात्मिक जगत के एक स्तम्भ

पुटपर्थी के सत्य साई बाबा इस नश्वर संसार को त्याग कर परलोक सिधार गयेउन्हें शिर्डी के साईं बाबा का अवतार माना जाता थाउनका जीवन बड़ा रहस्यमय तथा विवादों से घिरा रहापर उनके चमत्कारों की गाथा सदैव ही बड़ी रोचक रहीदेश विदेश में उनके भक्तों की एक बड़ी संख्या है जो उनके निधन के बाद अपने को निराश्रित महसूस कर रहे हैंराष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल , पूर्व राष्ट्रपति कलाम ,अटल बिहारी बाजपेयी , लालू जी, करूणानिधि ,किरण रेड्डी,सुनील गावस्कर, सचिन तेंदुलकर ,फिल्म एवं उद्योग जगत की अनेक हस्तियाँ सत्य साई बाबा की कृपापात्र रहीं हैं
सत्य साईं बाबा भारत के आध्यात्मिक जगत का एक लोकप्रिय स्तम्भ थे , उनके चमत्कारों कार्यशैली पर कितना भी विवाद क्यों रहा हो , उनकी स्वीकार्यता निरंतर बढ़ती ही रहीशिर्डी एवं पुटपर्थी साई भक्तों के तीर्थस्थल बन गयेशिर्डी में जहाँ भक्तों की श्रद्धा ने वहाँ के ट्रस्ट को करोडो का दान दे कर समृद्ध किया वहाँ सत्य साईं बाबा की सेवा में भक्तों ने तन-मन-धन से अपना योगदान दिया , पर श्ग्र्दी का स्थल जहाँ केवल धार्मिक आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रहा वहाँ सत्य साई बाबा ने समाज सेवा एवं मानव सेवा में महत्वपूर्ण योगदान दिया , इसका उदाहरण उनके द्वारा स्वास्थ्य , शिक्षा एवं समाज सेवा की दृष्टि से संचालित अनेक महत्वपूर्ण परियोजनाओं से है जिन्हें आज भी उत्कृष्टता की दृष्टि से मान्यता एवं सामाजिक स्वीकार्यता प्राप्त हैइस रूप में उनका योगदान किसी भी आध्यात्मिक हस्ती ,गुरु या बाबा की तुलना में महत्वपूर्ण हो जाता हैउनका निधन देश समाज की कभी पूरी होने वाली क्षति हैउनके पार्थिव शरीर को देख कर निम्नांकित उदगार अभिव्यक्त हो पड़े -
आँसू आये उन्हें देख कर, मन बोझिल हो आया ,
जिसने है कुछ किया, उसी ने सबका आदर पाया

एक ब्लॉग से लौट कर बिना किसी क्षमायाचना के......!!

एक ब्लॉग से लौट कर बिना किसी क्षमायाचना के......
प्रश्न :मुस्लिम ब्लोगर यह बताएं क्या यह पोस्ट हिन्दुओ के भावनाओ पर कुठाराघात नहीं करती.
सन्दर्भ :http://blostnews.blogspot.com/
                  हरीश जी,हालांकि इस विषय के विरुद्द कुछ लिखने का मन तो नहीं होता,किन्तु माननीय अनवर जी (और कतिपय अन्य लोगों के भी)के सामान्य ज्ञान हेतु कुछ बताने से खुद को मैं रोक नहीं पा रहा हूँ कि लिंग और योनि पूजन सिर्फ वर्तमान भारतीय धर्म के अंश नहीं है अपितु यह ना जाने कब से धरती के हर हिस्से में हर काल में पाया जाता है,भारत,मिस्र,करीत,बेबिलोनिया,फिनिशिया,ग्रीस,अखिदिया,क्रीट एवं यूरोप सभी स्थानों पर सभी काल में यह प्रवृति व्याप्त रही है,और यहाँ तक के विश्व के समस्त देवालयों में अन्तरंग यौन-कर्म से सम्बंधित मूर्तियाँ आदि पायी जाती हैं,और यह अकारण भी नहीं है !
              सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है हरीश जी,कि आज जिस काम को हम पाप की दृष्टि से देखते हैं(मजा यह कि दिन-रात इसी के पीछे भागते भी रहते हैं...हा..हा...हा...हा..हा..हर किसी को हम इस पाप-कर्म से दूर रहने की शिक्षा देते रहते हैं,और खुद.....!!और मजा यह कि हम सबके साथ ही लागू है!!)तो किसी जमाने में यही "काम" अत्यंत पवित्र कार्य हुआ करता था और यहाँ तक कि लोग देवालयों में ईश्वर को साक्षी बना कर सम्भोग किया करते थे और यह भी जान लीजिये कि यह कार्य स्त्री-पुरुष विवाह-पूर्व ही किया करते थे,तत्पश्चात उनकी ईच्छा कि वे आपस में विवाह करें या ना करें,इससे इस पवित्र "सम्भोग-कार्य" की प्रतिष्ठा पर कोई आंच नहीं आती थी,यह कार्य असल में ईश्वर की सेवा को समर्पित था,इसकी डिटेल के लिए अलग से एक अध्याय लिखना होगा, आप बस यह जान लो कि ऐसी प्रथाएं आज से दो हजार साल पूर्व तक हुआ करती थीं....ये प्रथाएं कब और कैसे शुरू हुईं,किस प्रकार पल्लवित-पुष्पित हुईं और क्योंकर बंद हुईं,यह सब भी इतिहास में बाकायदा दर्ज है....!!और हिन्दू धर्म-ग्रंथों में ही क्यूँ बाईबिल में भी दर्ज हैं,मुस्लिम धर्म पर कुछ कहूंगा तो अनवर भाई नाराज़ हो जायेंगे... मगर मेरे भाई जब तथ्यों को देखा-परखा या जांचा जाता है,तब हिन्दू-मुस्लिम-ईसाई की तरह नहीं सोचा जाता... और इस विषय पर अगर किसी को मेरे तथ्यों पर कोई एतराज हो तो वाद-विवाद कर ले,तथ्य किसी व्यक्ति या समाज के नहीं होते वो तो इतिहास के अविभाज्य अंश होते हैं !!
             अब जहां तक विज्ञान की बात है तो परम्पराओं का कोई विज्ञान है कि नहीं,इसकी परख कौन करेगा ?
कौन-सी परम्परा का उत्स क्या है,कैसे वो समय के साथ अपभ्रंश हो गयी,उसमें कैसे-कैसे विकार पैदा हो गए,यह जानने के हिमाकत कौन करता है?हम अपने देश की परम्पराओं को या धरती पर के इतिहास को कितना जानते समझते और खंगालते हैं,यह तो भाई अनवर के आलेख से साफ़ जाहिर होता है...लाखों ऐसी छोटी-छोटी बातें हैं,जो आज भी हमारी दादी माँ और नानी माँ की कहानियों में है,मगर हम जिन्हें अक्सर जांचे बगैर बेतुका करार देते हैं, अनेक ऐसे तथ्य हमारे ग्रामीण समाज में बिलकुल सतह पर हैं,जिन्हें हम शहरवासी उनका गंवारपन समझते हैं,ठीक इसी प्रकार उपरोक्त तथ्य भी है,जिसकी डिटेल हमें ना सिर्फ रोचक लगेगी,वरन गरिमापूर्ण और अचंभित करने वाली भी है,योनि और लिंग पूजन का आदि स्त्रोत हिन्दू नहीं अपितु आदि-मानव है,यहाँ तक कि बहुत से स्थानों पर सिर्फ लिंग या सिर्फ योनि भी पूजे जाते रहे हैं अंतर मात्र इतना है कि सभ्यताओं के विकास के संग विभिन्न तरह के आवश्यकताओं या अन्य किन्हीं कारणों से वे स-प्रयास हटा या मिटा दिए गए हैं,किन्तु भारत नाम के इस विसंगतिपूर्ण देश में हिन्दू नाम की एक असंगतिपूर्ण जाति ने इस परम्परा को अभी तक थाम कर रखा हुआ है,बेशक यह बिना जाने हुए कि इसका कारण क्या है...किन्तु तब भी कोई महज इस कारण गलीच तो नहीं हो जाता ना कि वो नहीं जानता कि वह जिस परम्परा का पोषण कर रहा है,उसका और या छोर क्या है ??           


उचित निर्णय युक्त बनाना

जो बनते हैं सबके अपने,

निशदिन दिखाते हैं नए सपने,

ऊपर-ऊपर प्रेम दिखाते,

भीतर सबका चैन चुराते,

ये लोगों को हरदम लूटते रहते हैं,

तब भी उनके प्रिय बने रहते हैं.

ये करते हैं झूठे वादे,

भले नहीं इनके इरादे,

ये जीवन में जो भी पाते,

किसी को ठग के या फिर सताके,

ये देश को बिलकुल खोखला कर देते हैं ,

इस पर भी लोग इन पर जान छिड़कते हैं.

जब तक ऐसी जनता है,

तब तक ऐसे नेता हैं,

जिस दिन लोग जाग जायेंगे,

ऐसे नेता भाग जायेंगे,

अब यदि चाहो इन्हें हटाना,

चाहो उन्नत देश बनाना,

सबसे पहले अपने मन को,

उचित निर्णय युक्त बनाना.

shalini kaushik


08 अप्रैल 2011

उठ रही है आग आज मिरे सीने में !!

उठ रही है आग आज मिरे सीने में 
कि चढ़ रहा है कोई दिल के जीने में !!
धूप है कि सर पे चढ़ती जा रही है
और निखार आ रहा मिरे पसीने में !!
अब यहीं पर होगा सभी का फैसला 
कोर्ट सड़क पर बैठ चुकी है करीने में !!
आओ कि उठ रही ललकार चारों तरफ 
कोई कसर ना बाकी रखो अपने जीने में !!
भले ही कोई गांधी हो ना कोई सुभाष 
इस हजारे को ही बसा लो अपने सीने में !!
अब भी अगर जागे नहीं तो फिर कहना नहीं
कोई बचाने आयेगा नहीं तुम्हारे सफीने में !! 
  

07 अप्रैल 2011

तारों भरा आकाश

संध्या कहाँ हो तुम ? उषा ने अपनी छोटी बहन को ऊपर छत से आवाज लगाई तो सीढियां चढ़ती हुई संध्या तेजी से वहीँ आ पहुची । ''''क्या है दीदी?'' ''अरे देख तो आकाश में आज कितने तारे चमक रहें !'' ।दीदी के चेहरे पर चमक देखकर संध्या की आँख भर आई पर उसने आंसू छिपाते हुए कहा 'हाँ !दीदी इसे ही शायद ''विभावरी'' की संज्ञा दी जाती है ।'' उषा एकाएक रुआंसी हो आई ''...बब्बू होता तो शायद ताली बजाता होता और ....''यह कहते हुए संध्या के गले लगकर फफक-फफक कर रो पड़ी .संध्या के ह्रदय में भी हूक सी उठी ''......काश बब्बू उस दिन स्कूल न जाता ।'' स्कूल बस व् ट्रक की सीधी टक्कर में कुछ अन्य बच्चों के साथ चार वर्षीय बब्बू भी हादसे का शिकार हो गया था .इस हादसे ने उषा और उसके पति मुकुल के दिल का सुकून व् जीवन के प्रति आस्था को छिन्न-भिन्न कर डाला था .उषा की उदासी देखते हुए ही उसके पिता जी उसे ससुराल से यही घर ले आये थे .संध्या का साथ पा उषा कुछ-कुछ तो अपने गम पर काबू करना सीख गयी थी पर इतना आसान तो नहीं होता जिगर के टुकड़े को भुलाना .उषा की माँ भी उसको देखकर मन ही मन में घुली जाती थी .उषा को समझाते हुए संध्या नीचे ड्राइंग रूम में ले आयी .नीचे आने पर उषा को तबियत ख़राब लगी तो बेडरूम में जाकर सो गयी .माँ,पिता जी व् संध्या चिंतित हो उठे .सुबह तक भी जब उषा का स्वास्थ्य गिरा गिरा रहा तो माँ के कहने पर पिता जी लेडी डॉक्टर को बुला लाये .डॉक्टर ने चेकअप कर मुस्कुराते हुए कहा ''उषा माँ बनने वाली है और आप परेशान हो रहे हैं ? ''उनके यह कहते ही सबकी आँखों में ख़ुशी के आंसू छलक आये .संध्या ने धीरे से उषा के कान में कहा '....लो दीदी फिर से आने वाला है जो तारों भरे आकाश को देखकर ताली बजाएगा !'' उषा ने संध्या को गले से लगा लिया . शिखा कौशिक

03 अप्रैल 2011

हारी लंका , बजा क्रिकेट में भारत का डंका

हार गयी वर्ल्ड कप में लंका ,बजा क्रिकेट में भारत का डंका
मैच फायनल, था क्या हाल ? अंतिम क्षण तक मन बेहाल
सबका रहा धड़कता दिल ,जबतक जीत गयी नहीं मिल
सबने अच्छी क्रिकेट खेली ,सबकी अपनी-अपनी शैली
पलड़ा कभी, किसी का झुकता,हर दर्शक का ह्रदय उछलता
जब हुए सहवाग,सचिन आउट ,लगा जीत में अब है डाउट
गौतम निकले अति गंभीर,भारत की अच्छी तक़दीर
था
विराट का सुखद प्रयास ,जिससे बधीं जीत की आस
फिर धोनी की सुन्दर पारी ,जिससे बिखरीं खुशिया सारी
किया बालरों ने भी कमाल ,फील्डिंग से रहे विरोधी बेहाल
वर्ष अठाईस का इंतजार ,ख़त्म किया कैप्टन ने छक्का मार
सर्वश्रेष्ठ अपना युवराज ,हर भारतवासी को नाज
हुईं ख़ुशी से आँखें नम ,आखिर जीते वर्ल्ड कप हम
रूप
कोई भी हो क्रिकेट का ,भारत अब है नंबर वन

02 अप्रैल 2011

जय भारत....जय हिन्दुस्तान....

जय भारत....जय हिन्दुस्तान....
ये जीत भारत के जज्बे की है...अनुशासन की है....और टीम भावना की है.....
इस जीत का सबक यह है कि अगर भारत अन्य क्षेत्रों में भी यही टीम भावना-अनुशासन और जज्बे से काम करे तो वह हर क्षेत्र में दुनिया का सिरमौर बन सकता है....
भारत के लोगों को चाहिए कि वो देखें कि किस तरह देश के एक होना चाहिए और अपने स्वार्थ त्याग कर भारत के हित में कार्य करना चाहिए....
 भारत....भारत....भारत....भारत.....हर एक जिहवा में यही एक नाम है.....
भारत नाम का यह शब्द कभी मिटने ना पाए.....आईये इस बात का हम सब संकल्प करें.....
भारत की आन-बान-शान को बनाए रखने का हम सब मिलकर प्रयास करें.....
 जश्न----जश्न ....और जश्न .....हर तरफ जोश  ....जूनून  ....हुजूम .....और शोर -शराबा .....
ऐसा मंजर भला कब दिखाई देगा.....जिसे हमारे बच्चे याद रखेंगे.....
 आईये हम सब भी मिलकर कुछ ऐसा करें.....कि अपने-अपने स्तर पर किसी ना किसी प्रकार के धुनी....युवराज....और गंभीर या सचिन बन सकें..
भीड़.....भीड़.....भीड़....बधाईयाँ.....और आने वाले कल की शुभकामनाएं.....
 दुनिया का उभरते हुए भारत का सलाम.....और अन्य देशों को चुनौती.....
मैं अब विकल हूँ इस बात के लिए....कि भारत का जन-जन भारत के लाभ के लिए और इसके गौरव के लिए कार्य करे.....काश कि अब भी हमारे नेताओं को सदबुद्धि आ सके...
क्यूंकि वही देश के गौरव को और उंचा उठाने में देश के जन-जन की मदद कर सकते हैं....
देश के हर नागरिक के लिए जीवन यापन की उचित सुविधाएं अगर ये लोग उपलब्ध करवा सकें.....तो सचमुच भारत सही मायनों में जीत पायेगा,,,,,जय भारत....जय हिन्दुस्तान....
 
 
 
ये जीत भारत के जज्बे की है...अनुशासन की है....और टीम भावना की है.....
इस जीत का सबक यह है कि अगर भारत अन्य क्षेत्रों में भी यही टीम भावना-अनुशासन और जज्बे से काम करे तो वह हर क्षेत्र में दुनिया का सिरमौर बन सकता है....
भारत के लोगों को चाहिए कि वो देखें कि किस तरह देश के एक होना चाहिए और अपने स्वार्थ त्याग कर भारत के हित में कार्य करना चाहिए....
 भारत....भारत....भारत....भारत.....हर एक जिहवा में यही एक नाम है.....
भारत नाम का यह शब्द कभी मिटने ना पाए.....आईये इस बात का हम सब संकल्प करें.....
भारत की आन-बान-शान को बनाए रखने का हम सब मिलकर प्रयास करें.....
 जश्न----जश्न ....और जश्न .....हर तरफ जोश  ....जूनून  ....हुजूम .....और शोर -शराबा .....
ऐसा मंजर भला कब दिखाई देगा.....जिसे हमारे बच्चे याद रखेंगे.....
 आईये हम सब भी मिलकर कुछ ऐसा करें.....कि अपने-अपने स्तर पर किसी ना किसी प्रकार के धुनी....युवराज....और गंभीर या सचिन बन सकें..
भीड़.....भीड़.....भीड़....बधाईयाँ.....और आने वाले कल की शुभकामनाएं.....
 दुनिया का उभरते हुए भारत का सलाम.....और अन्य देशों को चुनौती.....
मैं अब विकल हूँ इस बात के लिए....कि भारत का जन-जन भारत के लाभ के लिए और इसके गौरव के लिए कार्य करे.....काश कि अब भी हमारे नेताओं को सदबुद्धि आ सके...
क्यूंकि वही देश के गौरव को और उंचा उठाने में देश के जन-जन की मदद कर सकते हैं....
देश के हर नागरिक के लिए जीवन यापन की उचित सुविधाएं अगर ये लोग उपलब्ध करवा सकें.....तो सचमुच भारत सही मायनों में जीत पायेगा,,,,,जय भारत....जय हिन्दुस्तान....