tag:blogger.com,1999:blog-5251303885852162565.post4172827442487533138..comments2023-10-25T17:18:11.112+05:30Comments on शब्दकार: दिव्या गुप्ता जैन की कविता -- "बेटियाँ"शब्दकार-डॉo कुमारेन्द्र सिंह सेंगरhttp://www.blogger.com/profile/12857188651209037475noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-5251303885852162565.post-3077221685713293742010-04-30T15:02:55.772+05:302010-04-30T15:02:55.772+05:30ये बेटियां ही तो हैं,
जो अभी तक संभाले है धारा को,...ये बेटियां ही तो हैं,<br />जो अभी तक संभाले है धारा को,<br />अपने संस्कारों से<br />बना रही<br />संस्कारित हवा को.<br />माँ तो सब कुछ देती है,<br />ताकि जो मिले<br />उसको भी स्वीकारो<br />वरदान समझ कर सजा को.<br />अगर तुम अभागी हो,<br />तो माँ क्या हुई?<br />तुम सबसे भाग्य शाली हो<br />जो गरिमा मिली है तुम्हें.<br />इस सृष्टि की आधारशिला हो तुम.रेखा श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5251303885852162565.post-20087331191131233362010-04-30T00:21:44.145+05:302010-04-30T00:21:44.145+05:30बहुत उम्दा... दिल को छू लेने वाली रचना...बहुत उम्दा... दिल को छू लेने वाली रचना...Dev K Jhahttps://www.blogger.com/profile/06471032900319205793noreply@blogger.com