tag:blogger.com,1999:blog-5251303885852162565.post6568717708461279461..comments2023-10-25T17:18:11.112+05:30Comments on शब्दकार: सामयिक कविता : मेघ का सन्देश : --------संजीव सलिल'शब्दकार-डॉo कुमारेन्द्र सिंह सेंगरhttp://www.blogger.com/profile/12857188651209037475noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-5251303885852162565.post-58853452795069739422010-09-20T19:42:07.420+05:302010-09-20T19:42:07.420+05:30पावन सन्देश देती कल्याणकारी अतिसुन्दर कविता...
आभा...पावन सन्देश देती कल्याणकारी अतिसुन्दर कविता...<br />आभार !!!रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5251303885852162565.post-53307768808893323052010-09-20T08:50:57.972+05:302010-09-20T08:50:57.972+05:30मानवों के अत्याचार से त्रस्त होकर भी मैं मंगल ही क...मानवों के अत्याचार से त्रस्त होकर भी मैं मंगल ही करूँगा ...<br />पर्यावरण के दोहन और उसके पुनर्निर्माण पर अच्छी कविता ..!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5251303885852162565.post-36987987593110327672010-09-19T21:39:33.001+05:302010-09-19T21:39:33.001+05:30आपने अपनी कविता में पर्यावरण पर हो रहे अत्याचार को...आपने अपनी कविता में पर्यावरण पर हो रहे अत्याचार को लेकर कुछ जरूरी सवाल खड़े किए हैं। विगत कुछेक दशकों में हमारे पर्यावरण में जितने बदलाव आए हैं उसकी चिंता आपकी कविता में बहुत ही प्रमुख रूप में दिखाई देती है। हमने इस बदले वातावरण में जिस तरह से अपनी प्रकृति का दोहन और शोषण कर डाला है वह आपकी कविता में चिंता का विषय है। तभी तो आपका मेघ कहता है<br /><br />गगनचारी मेघ हूँ मैं.<br />मैं न कुंठाग्रस्त हूँ.<br />सच कहूँ तुम मानवों से<br />मैं हुआ संत्रस्त हूँ.<br /><br /><b>बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!</b><br /><br /><a href="http://manojiofs.blogspot.com/2010/09/2_19.html" rel="nofollow">काव्य के हेतु (कारण अथवा साधन), परशुराम राय, द्वारा “मनोज” पर, पढिए! </a>मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.com