23 फ़रवरी 2011

मेरी बेटी

है बड़ी मासूम उसकी मुस्कराहट क्या कहूँ !
वो सदा पहचान जाती मेरी आहट क्या कहूँ !
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एक पल भी दूर उससे रह नहीं सकती हूँ मैं ;
गोद में लेते ही उसको ;मिलती राहत क्या कहूँ !
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देखते ही स्नेह से चूम लेती उसको मैं ;
मखमली बाँहों से उसका घेर लेना क्या कहूँ !
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उसकी किलकारी मेरे कानों में अमृत घोलती ;
माँ मुझे कहकर के उसका खिलखिलाना क्या कहूँ !
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वो मेरी बेटी! मेरा सर्वस्व !मेरी जिन्दगी !
है मेरे वो दिल की धड़कन और ज्यादा क्या कहूँ !
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[कन्या-भ्रूण हत्या को रोकिये .यह मानवता के प्रति अक्षम्य पाप है ]

4 टिप्‍पणियां:

Shalini kaushik ने कहा…

आपकी प्रस्तुति प्रशंसनीय है.बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति.

vandana gupta ने कहा…

आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (24-2-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

http://charchamanch.blogspot.com/

Shikha Kaushik ने कहा…

vandna ji ,bahut bahut dhanyawad.

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ने कहा…

आपकी रचना ने 'बिटिया' की याद दिला दी | दिल्ली में आई ए एस की तैयारी कर रही है | ६ महीने से नहीं मिला , होली में घर आयेगी

आँखें भीग गयीं