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27 मार्च 2011

चार सौ का आंकड़ा छूने की बधाई -- सुझाव आमंत्रित हैं

शब्दकार आप सभी सदस्यों की मेहनत और सहयोग से निरन्तर आगे बढ़ रहा है। राजीव जी की इस पोस्ट के साथही शब्दकार ने अपनी चार सौवीं पोस्ट को छू लिया है। यह सदस्यों की लगातार बनी रहने वाली सक्रियता का सूचक है।


चित्र गूगल छवियों से साभार

400 के आंकड़े को शब्दकार के द्वारा छूने के बाद भी लगता है कि जो सोचकर इस ब्लॉग को शुरू किया था, वह उद्देश्य अभी भी कहीं से पूरा होते नहीं दिखता है। पूरा क्या अभी उसके आसपास भी पहुंचता नहीं दिखता है। शब्दकार आप सभी के सामूहिक प्रयास का सुखद परिणाम है तथा इसको और भी अधिक सुखद बनाने के लिए आप सभी का पर्याप्त सहयोग अपेक्षित है।

इस बार आप सभी सदस्यों से और शब्दकार के पाठकों से इस बात की अपेक्षा है कि वे शब्दकार को और अधिक लोकप्रिय, और भी अधिक सारगर्भित, और भी अधिक साहित्यिक बनाने के लिए हमें अपने-अपने स्तर पर सुझाव भेजने का कष्ट करें।

चूंकि सभी सदस्यों के व्यक्तिगत ब्लॉग हैं और सभी अपने-अपने स्तर पर उत्कृष्ट लेखन करके हिन्दी भाषा तथा साहित्य को समृद्ध कर रहे हैं। ऐसे में शब्दकार जैसे सामुदायिक ब्लॉग की आवश्यकता क्यों और किस कारण से पड़ी है? ऐसा क्या किया जाये कि सभी को, चाहे वह इस ब्लॉग का सदस्य हो अथवा पाठक, यहां की सामग्री के अध्ययन के द्वारा कुछ सार्थकता प्राप्त हो सके। इसमें हम अकेले कुछ नहीं हैं, आप सभी इसके महत्वपूर्ण अंग हैं।

अतः शब्दकार को अपना ब्लॉग मानकर, समझकर इस सम्बन्ध में अपने अमूल्य सुझाव अवश्य देवें कि इसे कैसे और अधिक प्रभावी तथा लोकप्रिय बनाया जा सके। सभी सदस्यों और पाठकों को शब्दाकर के चार सौ का आंकड़ा छूने पर बधाई तथा शुभकामनायें। सभी लेखक सदस्यों का विशेष आभार जो अपने सहयोग से, अपनी रचनात्मकता से शब्दकार को लोकप्रिय तथा जीवन्त बनाये हुए हैं।

20 सितंबर 2010

शब्दकार की तीन सौवीं पोस्ट प्रकाशित--आभार संजीव 'सलिल' जी का--इतिहास पर नजर डालें


शब्दकार ब्लॉग का आरम्भ 01 मार्च 2009 को किया गया था। तबसे लेकर आजतक इसके साथ उतार-चढ़ाव वाला समय भी आता रहा। एक बारगी बीच में ऐसा भी समय आया जबकि इसका संचालन बन्द करने का भी विचार बना। शब्दकार के लगभग सभी साथियों की ओर से इसको बन्द न करने का सुझाव दिया गया।

अपनी छोटी सी यात्रा में शब्दकार ब्लॉग जगत में कहाँ स्थित है यह तो आकलन आप सुधी पाठकजन ही करें। अपनी व्यस्तता के बीच समय निकाल कर देखा तो पाया कि शब्दकार पर 300वीं पोस्ट का प्रकाशन हो चुका है।

इस 300वीं पोस्ट का प्रकाशन इसी 10 सितम्बर 2010 को हुआ। इस पोस्ट के रचनाकार ब्लॉग जगत के सम्माननीय आचार्य संजीवसलिलजी हैं। तीन सौवीं पोस्ट भी कविता रही जिसका शीर्षक था जीवनअंगना को महकाया आचार्य संजीव ‘सलिल’ जी के साथ शब्दकार का अजब संयोग जुड़ा हुआ है। इसको आप शब्दकार के संक्षिप्त इतिहास के द्वारा देख-समझ सकते हैं।

लगभग बारह दिनों पूर्व शब्दकार की तीन सौवीं पोस्ट के प्रकाशन होने के पूर्व एक दिन पोस्ट का सम्पादन करते समय देखा था कि जल्द ही शब्दकार पर तीन सौवीं पोस्ट किसी न किसी के द्वारा प्रकाशित होगी। पहले सोचा कि इस बात को सबके बीच बाँट कर तीन सौवीं पोस्ट लिखने वालों को आमंत्रित किया जाये फिर विचार आया कि नहीं देखते हैं कि किस शब्दकार साथी की पोस्ट 300 का आँकड़ा छूती है।

आइये अब एक निगाह शब्दकार की संक्षिप्त सी यात्रा पर भी डाल लें और इसके विकास की राह को और प्रशस्त करें।

शब्दकार की पहली पोस्ट का प्रकाशन हुआ था 01 मार्च 2009 को। इस पहली पोस्ट के रचनाकार थे डॉ0 ब्रजेश कुमार और इनके द्वारा एक कविता प्रकाशनार्थ प्रेषित की गई थी। इस कविता का शीर्षक था--लो पुनः मधुमास आया।

यहाँ सुधी पाठकों को याद दिला दें कि पहले शब्दकार में पोस्ट का प्रकाशन शब्दकार के संचालक डॉ0 कुमारेन्द्र सिंह सेंगर के द्वारा होता था। बाद में रचनाकारों की अधिक से अधिक सहभागिता को सुनिश्चित करने के लिए इस ब्लॉग को सामुदायिक ब्लॉग के रूप में संचालित करना शुरू किया। शब्दकार का सामुदायिक संचालन 15 अगस्त 2009 से किया गया।

सामुदायिक ब्लॉग के रूप में शुरू होने के बाद पहली पोस्ट का प्रकाशन 16 अगस्त 2009 को एक कविता के रूप में हुआ। सरस्वती वंदना के द्वारा प्रकाशित होने वाली पहली रचना के साथ ब्लॉग जगत के माननीय आचार्य संजीवसलिलजी का आशीर्वाद प्राप्त हुआ।

इसके बाद से लगातार शब्दकार साथियों के द्वारा रचनाओं का प्रकाशन होता रहा। शब्दकार में इसके बाद भी पूर्व की भाँति उन रचनाकारों की भी रचनाओं का प्रकाशन होता रहा जो शब्दकार के सदस्य नहीं बने थे।

शब्दकार की सौवीं पोस्ट के रूप में डॉ0 अनिल चड्डा की कविताओंतेरा वजूदऔरतेरा इन्तजार को स्थान मिला। इन कविताओं को दिनांक 08 जुलाई 2009 को शब्दकार संचालक द्वारा ही प्रकाशित किया गया था। ध्यातव्य रहे कि तब तक शब्दकार का संचालन सामुदायिक रूप में शुरू नहीं हुआ था।

शब्दकार की दो सौवीं पोस्ट के रूप में भी एक कविता को स्थान मिला और इस बार भी रचनाकार रहे आचार्य संजीवसलिलजी। इस बार उनकी बाल कविता थी बंदर मामा और तारीख रही 30 जनवरी 2010।

शब्दकार की यात्रा धीरे-धीरे आगे की ओर बढ़ रही थी और लगातार रचनाओं को प्रकाशनार्थ संचालक द्वारा मंगवाया भी जा रहा था। शब्दकार के सदस्य साथियों के अलावा भी अन्य ब्लॉगर मित्र अपनी रचनाओं को प्रकाशनार्थ प्रेषित कर रहे थे।

इस बीच वह भी समय आया जबकि शब्दकार में 300 वीं पोस्ट का प्रकाशन हुआ। इस पोस्ट के बारे में विवरण आप ऊपर पढ़ ही चुके हैं।

सभी सदस्य साथियों को, अन्य मित्रों को जो रचनाएँ प्रकाशनार्थ भेजते हैं, पाठकों को, शब्दकार की रचनाओं पर टिप्पणी करने वालों का आभार, बधाईयाँ और शुभकामनाएँ। आप सभी के सहयोग की इसी तरह आवश्यकता रहेगी। भावी योजनाओं में विचार है कि शीघ्र ही एक शब्दकारआयोजन करवाया जायेगा जिसमें सभी साथियों को आमन्त्रित करके सम्मानित करने की योजना है (यदि आर्थिक संसाधन साथ देते रहे)

शुभकामनाएँ आप भी भेजिए शेष तो भविष्य के गर्भ में छिपा है।

शब्दकार के सदस्य साथी ------
शब्दकार ब्लॉग के समर्थकों की संख्या भी 60 है

10 अप्रैल 2010

"शब्दकार बंद कर दिया जाए" -- अपनी राय जल्द से जल्द दें

क्यों शब्दकार का प्रकाशन बंद कर दिया जाए?

ये सवाल आप सभी (सदस्यों से) से इस कारण पूछा जा रहा है ताकि आप सभी को ये ना लगे कि हमने बिना आपकी सहमति के ऐसा कदम उठाया है
जबसे शब्दकार को सामुदायिक ब्लॉग के रूप में शुरू किया है तब से आचार्य संजीव 'सलिल' जी का आशीर्वाद ही मिलता रहा है, शेष सदस्यों ने बहुत ही बेरुखी दिखाई है

वैसे हम तो इसे बंद करने का मन बना चुके हैं...........आगे आप लोगों का विचार बस जानना है

ये किसी की कोई मजबूरी नहीं कि सदस्यता ली है तो लिखना ही पड़ेगा (कोई लिख भी कहाँ रहा है??) आप सभी का आभार जो आप लोग इससे जुड़े

हमने तो सोचा था कि इसी बहाने हिंदी भाषा, साहित्य के लिए कुछ कर पायेंगे पर.....................

चलिए दिनांक 12-04-10 की शाम 05 बजे तक के लिए आप सभी सदस्यों की और उन पाठकों की रायमांगी जा रही है जो शब्दकार के प्रति रूचि रखते हैं......................
धन्यवाद--
डॉ0 कुमारेन्द्र सिंह सेंगर
संचालक - शब्दकार

14 फ़रवरी 2010

शब्दकार का पत्रकारिता स्वरूपी ब्लॉग शुरू === एक निगाह का इंतज़ार

नमस्कार साथियो,

विगत कई दिनों से आपसे सम्पर्क स्थापित नहीं कर सके, इसका खेद है। इसके बाद भी आप सभी साथियों की ओर से शब्दकार को नियमित रूप से सहयोग प्राप्त होता रहा है, इसके लिए आप सभी का आभार व्यक्त करना चाहते हैं।

इधर कुछ दिनों से देखने में आ रहा है कि शब्दकार को कुछ इस तरह की मेल मिल रहीं हैं जिनमें किसी संगोष्ठी की सूचना, किसी पुस्तक के विमोचन की खबर, किसी साहित्यकार से सम्बन्धित कोई जानकारी रहती है। इन जानकारियों को शब्दकार में प्रकाशित करने का निवेदन होता है।

चूँकि हमारी दृष्टि में इस तरह की जानकारियों को समाचारों की श्रेणी में रखा जा सकता है और शब्दकार को हम समाचार ब्लाग से अलग हट कर साहित्यिक-सांस्कृतिक ब्लाग के रूप में देखते हैं। शब्दकार से जुड़े सभी साथियों की ओर से भी यही दृष्टि अपनाते हुए इसी तरह की रचनाओं का प्रकशन समय-समय पर होता रहता है। यह उन सदस्यों की सहयोगात्मक प्रवृत्ति का द्योतक है।

पिछले कुछ दिनों से शब्दकार की एक सम्मानित सदस्य गार्गी गुप्ता जी के द्वारा कुछ जानकारी भरी पोस्ट प्रकाशित की जा रहीं हैं, जिन्हें कि हमको शब्दकार की प्रकृति की न होने के कारण बड़े ही भारी मन से हटाना पड़ता है। अपने शब्दकार साथी की मेहनत जाया न हो और जो मित्रगण हमें मेल द्वारा जानकारी भरी, समाचार रूप में जो मेल भेजते हैं उन्हें भी कष्ट न हो, किसी तरह की नाराजी न हो, यह सोचकर शब्दकार का पत्रकारिता भरा स्वरूप भी शुरू कर दिया है। पत्रकारिता से ओतप्रोत इस ब्लाग का नाम भी शब्दकारिता रख दिया है। इस ब्लॉग पर गार्गी गुप्ता जी द्वारा उन कुछ पोस्ट को लगा दिया है जो शब्दकार में प्रकाशित की गईं थीं(आप भी देख लीजिये)

गार्गी जी को मेल के द्वारा इस ब्लाग के बारे में सूचित कर दिया है और सदस्यता आमंत्रण भी भेज दिया है। इसके बाद भी उनके द्वारा शब्दकार पर लगातार जानकारी भरी पोस्ट का प्रकाशन किया जा रहा है। लगता है कि गार्गी जी ने अपना ई-मेल बदल दिया है और नया ई-मेल शब्दकार के पास नहीं है।

आप सभी से निवेदन है कि जो सम्मानित सदस्य गार्गी जी के सम्पर्क में हो वह कृपया उनका नया ई-मेल शब्दकार को प्रेषित करदे। जिससे उन्हें शब्दकारिता के बारे में पुनः जानकारी दी जा सके।

यदि गार्गी जी इस पोस्ट को पढ़ें तो वे स्वयं शब्दकार से सम्पर्क करें ताकि उनकी मेहनत जाया न जाये।

साथ ही आप सभी से निवेदन है और सलाह भी ली जा रही है कि लगातार गार्गी जी द्वारा शब्दकार पर ऐसी समाचार रूपी पोस्ट का प्रकाशन किया जाता रहा तो इसका उपाय क्या होगा? लगातार उन पोस्ट को हटाना हमें स्वयं ही खराब लगता है।

आशा है कि आप सभी हमेशा की तरह शब्दकार की मदद करेंगे।

धन्यवाद सहित

डा0 कुमारेन्द्र सिंह सेंगर
संचालक-शब्दकार