08 दिसंबर 2009

सुरेन्द्र अग्निहोत्री की कविता - राहुल तुम कब जानोगे

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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राहुल,
इतिहास तुमसे प्रश्न पूछे न पूछे
पर में तुमसे प्रश्न करता हूँ
भविष्य क्या होगा इसकी चिन्ता नहीं
यह बात मैंने यूं ही नहीं कही
क्यों भूख से दम तोड़ते
अपनों से मुँह मोड़ते
सल्फाश को मुक्ति का मार्ग मानते
खेत-खलिहान, हल-बखर पहचाते
लोगों के बीच आये!
राहुल, क्यों?
उनकी टूटी खटिया पर बैठकर
उम्मीदों का हरापन जगा गये
बगाबत और बागी बुन्देली भू पर
क्यो ममता का पाठ पढ़ा गये
जवाब दो राहुल क्यों?
तुम्हारें बैठने से भूगोल नहीं बदला
बदला है माया का सुर
सरकारी योजनाओं की दिशा नहीं बदली
बज रही सब अपनी ढफली
राहुल, क्या मिला?
मिला सिर्फ कागजी शेरों को
जो सत्ता का स्वाद चख गये
बिना श्रम के
सांसद और मंत्री बन गये
राहुल, तुम देख पाओगें,
अधफटी साड़ी में घूंघट ताने
खड़ी लुगाई की चिन्ता क्या हैं
कितने दिन से चूल्हा नहीं जला
अपना दर्द किससे कहे वह भला
राहुल, यहां
शादी इतिहास के लिए नहीं होती हैं
तलाक भूगोल नहीं बदलता है
रोती हर घर में ममता है।
राहुल, कब जानोगे,
सरकारी गौमताएं
दूध नहीं देती हैं
पनाने जाए कोई
तो लात मारती है
राहुल, क्या करेगा,
आधुनिक पूँजीवाद का उदय
आर्थिक मंदी का दौर बाला उतार-चढ़ाव
यही नहीं चलता अखाड़े का दाव
दबंगो और दादूओं का है यहां पड़ाव
राहुल,
कभी उनके साथ कोई झण्डा होता है
तो कभी उनके साथ पुलिस का डन्डा होता है
राजनीतिक दुराग्रह का यही है खेल
कभी फूलों की माला, कभी मिलती है जेल
राहुल,
क्यो ठिठक गये तुम्हारे कदम
जिन्होंने अंग्रेजों से लड़ने की दिखाई दम
उनका तुम समझो कुछ तो मर्म
न खुशी उनकी न उनके अपने गम!

-सुरेन्द्र अग्निहोत्री
राजसदन 120/132 बेलदारी लेन,
लालबाग,लखनऊ
मोः 9415508695

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