400 के आंकड़े को शब्दकार के द्वारा छूने के बाद भी लगता है कि जो सोचकर इस ब्लॉग को शुरू किया था, वह उद्देश्य अभी भी कहीं से पूरा होते नहीं दिखता है। पूरा क्या अभी उसके आसपास भी पहुंचता नहीं दिखता है। शब्दकार आप सभी के सामूहिक प्रयास का सुखद परिणाम है तथा इसको और भी अधिक सुखद बनाने के लिए आप सभी का पर्याप्त सहयोग अपेक्षित है।
इस बार आप सभी सदस्यों से और शब्दकार के पाठकों से इस बात की अपेक्षा है कि वे शब्दकार को और अधिक लोकप्रिय, और भी अधिक सारगर्भित, और भी अधिक साहित्यिक बनाने के लिए हमें अपने-अपने स्तर पर सुझाव भेजने का कष्ट करें।
चूंकि सभी सदस्यों के व्यक्तिगत ब्लॉग हैं और सभी अपने-अपने स्तर पर उत्कृष्ट लेखन करके हिन्दी भाषा तथा साहित्य को समृद्ध कर रहे हैं। ऐसे में शब्दकार जैसे सामुदायिक ब्लॉग की आवश्यकता क्यों और किस कारण से पड़ी है? ऐसा क्या किया जाये कि सभी को, चाहे वह इस ब्लॉग का सदस्य हो अथवा पाठक, यहां की सामग्री के अध्ययन के द्वारा कुछ सार्थकता प्राप्त हो सके। इसमें हम अकेले कुछ नहीं हैं, आप सभी इसके महत्वपूर्ण अंग हैं।
अतः शब्दकार को अपना ब्लॉग मानकर, समझकर इस सम्बन्ध में अपने अमूल्य सुझाव अवश्य देवें कि इसे कैसे और अधिक प्रभावी तथा लोकप्रिय बनाया जा सके। सभी सदस्यों और पाठकों को शब्दाकर के चार सौ का आंकड़ा छूने पर बधाई तथा शुभकामनायें। सभी लेखक सदस्यों का विशेष आभार जो अपने सहयोग से, अपनी रचनात्मकता से शब्दकार को लोकप्रिय तथा जीवन्त बनाये हुए हैं।