02 अप्रैल 2011

जय भारत....जय हिन्दुस्तान....

जय भारत....जय हिन्दुस्तान....
ये जीत भारत के जज्बे की है...अनुशासन की है....और टीम भावना की है.....
इस जीत का सबक यह है कि अगर भारत अन्य क्षेत्रों में भी यही टीम भावना-अनुशासन और जज्बे से काम करे तो वह हर क्षेत्र में दुनिया का सिरमौर बन सकता है....
भारत के लोगों को चाहिए कि वो देखें कि किस तरह देश के एक होना चाहिए और अपने स्वार्थ त्याग कर भारत के हित में कार्य करना चाहिए....
 भारत....भारत....भारत....भारत.....हर एक जिहवा में यही एक नाम है.....
भारत नाम का यह शब्द कभी मिटने ना पाए.....आईये इस बात का हम सब संकल्प करें.....
भारत की आन-बान-शान को बनाए रखने का हम सब मिलकर प्रयास करें.....
 जश्न----जश्न ....और जश्न .....हर तरफ जोश  ....जूनून  ....हुजूम .....और शोर -शराबा .....
ऐसा मंजर भला कब दिखाई देगा.....जिसे हमारे बच्चे याद रखेंगे.....
 आईये हम सब भी मिलकर कुछ ऐसा करें.....कि अपने-अपने स्तर पर किसी ना किसी प्रकार के धुनी....युवराज....और गंभीर या सचिन बन सकें..
भीड़.....भीड़.....भीड़....बधाईयाँ.....और आने वाले कल की शुभकामनाएं.....
 दुनिया का उभरते हुए भारत का सलाम.....और अन्य देशों को चुनौती.....
मैं अब विकल हूँ इस बात के लिए....कि भारत का जन-जन भारत के लाभ के लिए और इसके गौरव के लिए कार्य करे.....काश कि अब भी हमारे नेताओं को सदबुद्धि आ सके...
क्यूंकि वही देश के गौरव को और उंचा उठाने में देश के जन-जन की मदद कर सकते हैं....
देश के हर नागरिक के लिए जीवन यापन की उचित सुविधाएं अगर ये लोग उपलब्ध करवा सकें.....तो सचमुच भारत सही मायनों में जीत पायेगा,,,,,जय भारत....जय हिन्दुस्तान....
 
 
 
ये जीत भारत के जज्बे की है...अनुशासन की है....और टीम भावना की है.....
इस जीत का सबक यह है कि अगर भारत अन्य क्षेत्रों में भी यही टीम भावना-अनुशासन और जज्बे से काम करे तो वह हर क्षेत्र में दुनिया का सिरमौर बन सकता है....
भारत के लोगों को चाहिए कि वो देखें कि किस तरह देश के एक होना चाहिए और अपने स्वार्थ त्याग कर भारत के हित में कार्य करना चाहिए....
 भारत....भारत....भारत....भारत.....हर एक जिहवा में यही एक नाम है.....
भारत नाम का यह शब्द कभी मिटने ना पाए.....आईये इस बात का हम सब संकल्प करें.....
भारत की आन-बान-शान को बनाए रखने का हम सब मिलकर प्रयास करें.....
 जश्न----जश्न ....और जश्न .....हर तरफ जोश  ....जूनून  ....हुजूम .....और शोर -शराबा .....
ऐसा मंजर भला कब दिखाई देगा.....जिसे हमारे बच्चे याद रखेंगे.....
 आईये हम सब भी मिलकर कुछ ऐसा करें.....कि अपने-अपने स्तर पर किसी ना किसी प्रकार के धुनी....युवराज....और गंभीर या सचिन बन सकें..
भीड़.....भीड़.....भीड़....बधाईयाँ.....और आने वाले कल की शुभकामनाएं.....
 दुनिया का उभरते हुए भारत का सलाम.....और अन्य देशों को चुनौती.....
मैं अब विकल हूँ इस बात के लिए....कि भारत का जन-जन भारत के लाभ के लिए और इसके गौरव के लिए कार्य करे.....काश कि अब भी हमारे नेताओं को सदबुद्धि आ सके...
क्यूंकि वही देश के गौरव को और उंचा उठाने में देश के जन-जन की मदद कर सकते हैं....
देश के हर नागरिक के लिए जीवन यापन की उचित सुविधाएं अगर ये लोग उपलब्ध करवा सकें.....तो सचमुच भारत सही मायनों में जीत पायेगा,,,,,जय भारत....जय हिन्दुस्तान....
 
 
 

27 मार्च 2011

चार सौ का आंकड़ा छूने की बधाई -- सुझाव आमंत्रित हैं

शब्दकार आप सभी सदस्यों की मेहनत और सहयोग से निरन्तर आगे बढ़ रहा है। राजीव जी की इस पोस्ट के साथही शब्दकार ने अपनी चार सौवीं पोस्ट को छू लिया है। यह सदस्यों की लगातार बनी रहने वाली सक्रियता का सूचक है।


चित्र गूगल छवियों से साभार

400 के आंकड़े को शब्दकार के द्वारा छूने के बाद भी लगता है कि जो सोचकर इस ब्लॉग को शुरू किया था, वह उद्देश्य अभी भी कहीं से पूरा होते नहीं दिखता है। पूरा क्या अभी उसके आसपास भी पहुंचता नहीं दिखता है। शब्दकार आप सभी के सामूहिक प्रयास का सुखद परिणाम है तथा इसको और भी अधिक सुखद बनाने के लिए आप सभी का पर्याप्त सहयोग अपेक्षित है।

इस बार आप सभी सदस्यों से और शब्दकार के पाठकों से इस बात की अपेक्षा है कि वे शब्दकार को और अधिक लोकप्रिय, और भी अधिक सारगर्भित, और भी अधिक साहित्यिक बनाने के लिए हमें अपने-अपने स्तर पर सुझाव भेजने का कष्ट करें।

चूंकि सभी सदस्यों के व्यक्तिगत ब्लॉग हैं और सभी अपने-अपने स्तर पर उत्कृष्ट लेखन करके हिन्दी भाषा तथा साहित्य को समृद्ध कर रहे हैं। ऐसे में शब्दकार जैसे सामुदायिक ब्लॉग की आवश्यकता क्यों और किस कारण से पड़ी है? ऐसा क्या किया जाये कि सभी को, चाहे वह इस ब्लॉग का सदस्य हो अथवा पाठक, यहां की सामग्री के अध्ययन के द्वारा कुछ सार्थकता प्राप्त हो सके। इसमें हम अकेले कुछ नहीं हैं, आप सभी इसके महत्वपूर्ण अंग हैं।

अतः शब्दकार को अपना ब्लॉग मानकर, समझकर इस सम्बन्ध में अपने अमूल्य सुझाव अवश्य देवें कि इसे कैसे और अधिक प्रभावी तथा लोकप्रिय बनाया जा सके। सभी सदस्यों और पाठकों को शब्दाकर के चार सौ का आंकड़ा छूने पर बधाई तथा शुभकामनायें। सभी लेखक सदस्यों का विशेष आभार जो अपने सहयोग से, अपनी रचनात्मकता से शब्दकार को लोकप्रिय तथा जीवन्त बनाये हुए हैं।