20 सितंबर 2010

शब्दकार की तीन सौवीं पोस्ट प्रकाशित--आभार संजीव 'सलिल' जी का--इतिहास पर नजर डालें


शब्दकार ब्लॉग का आरम्भ 01 मार्च 2009 को किया गया था। तबसे लेकर आजतक इसके साथ उतार-चढ़ाव वाला समय भी आता रहा। एक बारगी बीच में ऐसा भी समय आया जबकि इसका संचालन बन्द करने का भी विचार बना। शब्दकार के लगभग सभी साथियों की ओर से इसको बन्द न करने का सुझाव दिया गया।

अपनी छोटी सी यात्रा में शब्दकार ब्लॉग जगत में कहाँ स्थित है यह तो आकलन आप सुधी पाठकजन ही करें। अपनी व्यस्तता के बीच समय निकाल कर देखा तो पाया कि शब्दकार पर 300वीं पोस्ट का प्रकाशन हो चुका है।

इस 300वीं पोस्ट का प्रकाशन इसी 10 सितम्बर 2010 को हुआ। इस पोस्ट के रचनाकार ब्लॉग जगत के सम्माननीय आचार्य संजीवसलिलजी हैं। तीन सौवीं पोस्ट भी कविता रही जिसका शीर्षक था जीवनअंगना को महकाया आचार्य संजीव ‘सलिल’ जी के साथ शब्दकार का अजब संयोग जुड़ा हुआ है। इसको आप शब्दकार के संक्षिप्त इतिहास के द्वारा देख-समझ सकते हैं।

लगभग बारह दिनों पूर्व शब्दकार की तीन सौवीं पोस्ट के प्रकाशन होने के पूर्व एक दिन पोस्ट का सम्पादन करते समय देखा था कि जल्द ही शब्दकार पर तीन सौवीं पोस्ट किसी न किसी के द्वारा प्रकाशित होगी। पहले सोचा कि इस बात को सबके बीच बाँट कर तीन सौवीं पोस्ट लिखने वालों को आमंत्रित किया जाये फिर विचार आया कि नहीं देखते हैं कि किस शब्दकार साथी की पोस्ट 300 का आँकड़ा छूती है।

आइये अब एक निगाह शब्दकार की संक्षिप्त सी यात्रा पर भी डाल लें और इसके विकास की राह को और प्रशस्त करें।

शब्दकार की पहली पोस्ट का प्रकाशन हुआ था 01 मार्च 2009 को। इस पहली पोस्ट के रचनाकार थे डॉ0 ब्रजेश कुमार और इनके द्वारा एक कविता प्रकाशनार्थ प्रेषित की गई थी। इस कविता का शीर्षक था--लो पुनः मधुमास आया।

यहाँ सुधी पाठकों को याद दिला दें कि पहले शब्दकार में पोस्ट का प्रकाशन शब्दकार के संचालक डॉ0 कुमारेन्द्र सिंह सेंगर के द्वारा होता था। बाद में रचनाकारों की अधिक से अधिक सहभागिता को सुनिश्चित करने के लिए इस ब्लॉग को सामुदायिक ब्लॉग के रूप में संचालित करना शुरू किया। शब्दकार का सामुदायिक संचालन 15 अगस्त 2009 से किया गया।

सामुदायिक ब्लॉग के रूप में शुरू होने के बाद पहली पोस्ट का प्रकाशन 16 अगस्त 2009 को एक कविता के रूप में हुआ। सरस्वती वंदना के द्वारा प्रकाशित होने वाली पहली रचना के साथ ब्लॉग जगत के माननीय आचार्य संजीवसलिलजी का आशीर्वाद प्राप्त हुआ।

इसके बाद से लगातार शब्दकार साथियों के द्वारा रचनाओं का प्रकाशन होता रहा। शब्दकार में इसके बाद भी पूर्व की भाँति उन रचनाकारों की भी रचनाओं का प्रकाशन होता रहा जो शब्दकार के सदस्य नहीं बने थे।

शब्दकार की सौवीं पोस्ट के रूप में डॉ0 अनिल चड्डा की कविताओंतेरा वजूदऔरतेरा इन्तजार को स्थान मिला। इन कविताओं को दिनांक 08 जुलाई 2009 को शब्दकार संचालक द्वारा ही प्रकाशित किया गया था। ध्यातव्य रहे कि तब तक शब्दकार का संचालन सामुदायिक रूप में शुरू नहीं हुआ था।

शब्दकार की दो सौवीं पोस्ट के रूप में भी एक कविता को स्थान मिला और इस बार भी रचनाकार रहे आचार्य संजीवसलिलजी। इस बार उनकी बाल कविता थी बंदर मामा और तारीख रही 30 जनवरी 2010।

शब्दकार की यात्रा धीरे-धीरे आगे की ओर बढ़ रही थी और लगातार रचनाओं को प्रकाशनार्थ संचालक द्वारा मंगवाया भी जा रहा था। शब्दकार के सदस्य साथियों के अलावा भी अन्य ब्लॉगर मित्र अपनी रचनाओं को प्रकाशनार्थ प्रेषित कर रहे थे।

इस बीच वह भी समय आया जबकि शब्दकार में 300 वीं पोस्ट का प्रकाशन हुआ। इस पोस्ट के बारे में विवरण आप ऊपर पढ़ ही चुके हैं।

सभी सदस्य साथियों को, अन्य मित्रों को जो रचनाएँ प्रकाशनार्थ भेजते हैं, पाठकों को, शब्दकार की रचनाओं पर टिप्पणी करने वालों का आभार, बधाईयाँ और शुभकामनाएँ। आप सभी के सहयोग की इसी तरह आवश्यकता रहेगी। भावी योजनाओं में विचार है कि शीघ्र ही एक शब्दकारआयोजन करवाया जायेगा जिसमें सभी साथियों को आमन्त्रित करके सम्मानित करने की योजना है (यदि आर्थिक संसाधन साथ देते रहे)

शुभकामनाएँ आप भी भेजिए शेष तो भविष्य के गर्भ में छिपा है।

शब्दकार के सदस्य साथी ------
शब्दकार ब्लॉग के समर्थकों की संख्या भी 60 है

2 टिप्‍पणियां:

मनोज कुमार ने कहा…

आपके ब्लॉग पर काफ़ी सार्थक और गंभीर साहित्यिक रचनाएं निरंतर पढने को मिलती रही हैं। ३०० की संख्यां इस निरंतरता और उच्च कोटि के साथ देना कोई सरल काम नहीं,आप निश्चित रूप से बधाई के हक़दार हैं। और भी अच्छी रचनाओं की उम्मेद में हैं हम पाठकगण। हार्दिक शुभकामनाएं!

और समय ठहर गया!, ज्ञान चंद्र ‘मर्मज्ञ’, द्वारा “मनोज” पर, पढिए!

रेखा श्रीवास्तव ने कहा…

कुमारेन्द्र भाई को ३०० वीं पोस्ट पर मेरी बहुत बहुत शुभकामनाएं. बस इसी तरह से लिखते रहे और हमें पढ़ते रहें.