09 मार्च 2010

राम निवास 'इंडिया' की रचना -- नारी दोहा दशक

नारी दोहा दशक
जख्मों के अम्बार को उर में रखे छुपाय
पीड़ा-दर-पीड़ा सहे कभी ना बोले हायII

नारी एक पतंग सी पति के हाथों डोर
उड़ना तो यह चाहती ढील पड़े कमजोरII

पर-कतरों के बीच में चिड़िया नारी जान
पुरुषों के संसर्ग से जाती भूल उड़ानII

नारी नर का सार है और जगत में प्यार
इसके बिन निर्मूल है यह जीवन बेकारII

नारी का ही नाम है माता नाम महान
नारी का अपमान है ममता का अपमानII

नारी सागर की तरह रत्नों का भण्डार
गहराई इसकी कभी ना जाना संसारII

ममता का एक रूप है कर इसका सम्मान
नारी के ही गोद में खेले हैं भगवान्II

अनसुइया सीता बने बने तो स्त्री महान
बिगड़े तो इसके लिए कोई नहीं प्रमाणII

नर प्रधान यह देश है नारी का ना मान
संसाधन बस काम का पाए ना सम्मानII

नारी त्याग स्वरुप रही पुरुष रहा अनजानI
सदिओं से बनता रहा पुरुष सदा बलवानII
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राम निवास 'इंडिया'
गीतकार ,
342-A, जोशी रोड, करोलबाग
नई दिल्ली -110005
09971643847

2 टिप्‍पणियां:

sunil gajjani ने कहा…

जख्मों के अम्बार को उर में रखे छुपाय
पीड़ा-दर-पीड़ा सहे कभी ना बोले हायII
ram niwas ji ko badhae sunder doho ke liye.

sunil gajjani ने कहा…

aap ke blog par pehla dastak hai mera. sadhwad