07 मार्च 2010

डॉ0 अनिल चड्डा का गीत - जीवन भर की यादें

"गीत"

चार दिन का साथ मिला, जीवन भर की यादें,

रफ्ता-रफ्ता दिन कटें, मुश्किल हो गईं रातें ।

आँसू की बरसात बही, भाव घनाघन उमड़े,

जीवन-ज्योति बुझ सी गई, कौन सी राह मन पकड़े,

सोच-सोच मन बैठा जाये, बरबस निकलें आहें ।

दीप जलाऊँ फिर भी अंधेरा, कारण कैसे जानूँ,

द्वार पे दिल के तुम आये हो, कैसे मैं ये मानूँ,

भूल ना पाऊँ, याद क्यों आयें मुड़-मुड़ वोही बातें ।


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डा0अनिल चड्डा,
उप-सचिव,
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय,
सरदार पटेल भवन, नई दिल्ली
०९८६८९०९६७३

http://vahak.hindyugm.com/2009/10/anil-chadda.html
( कृपया मेरे ब्लाग -

http://anilchadah.blogspot.com एवँ
http://anubhutiyan.blogspot.com

- का भी अवलोकन करें )

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