09 मई 2010

ओ माँ....मेरी माँ....!!

ओ माँ....मेरी माँ....
तेरा छाँव देता आँचल,
मुझे आज बहुत याद आ रहा है,
खाने के लिए गली में मुझे आवाज़ देता हुआ
तेरा चेहरा मेरी आँखों में समा रहा है....
मैं जानता हूँ..... ओ माँ
कि तू मुझे बहुत याद करती होगी...
मगर मैं भी याद तुझे कुछ कम नहीं कर रहा...
तेरा मुझे डांटता-फटकारता और साथ ही
बेतरह प्यार करता हुआ मंज़र ही अब मेरा
साया है और प्यार भरी मेरी छत है !
दूर-दूर तक पुकारती हुई तू मुझे
आज भी मेरे आस-पास ही दिखाई देती है !
मुझे ऐसा लगता है अक्सर कि-
मैं आज भी तेरी गोद में तेरे हाथों से
छोटे-छोटे कौर से रोटियाँ खा रहा हूँ,
तेरे साथ कौन-कौन से खेल खेल रहा हूँ,
तेरी सुनाई हुई अनजानी-सी कहानियां
आज भी मेरे कानों से लेकर
मेरे दिल का पीछा करती हुई-सी लगती है !!
सच ओ माँ....मैं तुझे
बेहद याद करता हूँ....बेहद याद करता हूँ....!!
माँ मुझे पता है कि तेरा आँचल आज भी
मुझे छाँव देने के लिए छटपटाता है और मैं-
ना जाने किस-किस जगहों पर
किन-किन लोगों से घिरा हुआ हूँ....
मैं नहीं जानता हूँ ओ माँ-
कि तू किस तरह मेरा पीछा करती है??
मगर मैं जान जाता हूँ कि तू
किस समय किस तरह से याद कर रही है,
तेरी यादों का तो मैं कुछ नहीं कर सकता....
तेरे दिल के खालीपन को भरना भी तो
अब मेरे वश की बात नहीं है,
मगर सच कहता हूँ ओ माँ-
जब भी तू मुझे याद करती है,
मैं कहीं भी होऊं....अपने अंतस के
पोर-पोर तक तक भीग जाता हूँ
और इस तरह से ओ माँ
मैं आकर तुझमें ही समा जाता हूँ....!!

3 टिप्‍पणियां:

दीपक 'मशाल' ने कहा…

Maa ko samarpit prempoorna bhaavuk karti rachna.. Maa ko mera bhi naman

बेनामी ने कहा…

Very Touching…… Mother is the precious Gift of God, whose Love is without condition and expectation for us…..
Divya Gupta Jain

डॉ० डंडा लखनवी ने कहा…

सुन्दर....सराहनीय......बधाई!
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माँ के चरणों तले भू-गगन है।
माँ के चरणों तले ही अमन है॥
और की क्यों करूँ वन्दना मैं-
मातृवन्दन ही भगवत्‌ भजन है॥
सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी