11 फ़रवरी 2011

बढ़ चलो ए जिंदगी..

हर अँधेरे को मिटाकर बढ़ चलो ए जिंदगी,
आगे बढ़कर ही तुम्हारा पूर्ण स्वप्न हो पायेगा।

गर उलझकर ही रहोगी उलझनों में इस कदर,
डूब जाओगी भंवर में कुछ न फिर हो पायेगा।

आगे बढ़ने से तुम्हारे चल पड़ेंगे काफिले,
कोई अवरोध तुमको रोक नहीं पायेगा।

तुमसे मिलकर बढ़ चलेंगे संग सबके होसले,
जीना तुमको इस तरह से सहज कुछ हो पायेगा।

संग लेकर जब चलोगी सबको अपने साथ तुम,
चाह कर भी कोई तुमसे दूर न हो पायेगा।

जुड़ सकेंगे पंख उसमे आशा और विश्वास के,
''शालिनी ''का नाम भी पहचान नयी पायेगा.

5 टिप्‍पणियां:

Shikha Kaushik ने कहा…

vakai bahut sundar bhavabhivyakti.aapka nam vastav me ek pahchan nayee payega..

Atul Shrivastava ने कहा…

जीवन रूपी भंवर में सभी बाधाओं को पार करते हुए जीने की सीख देती हुई रचना। बधाई हो आपको।

Amit Chandra ने कहा…

बेहतरीन रचना। मन में आशा को नया संचार कर जाती है। आभार।

vandana gupta ने कहा…

तुमसे मिलकर बढ़ चलेंगे संग सबके होसले,
जीना तुमको इस तरह से सहज कुछ हो पायेगा।

वाह! जीने को प्रेरित करती बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति।

G.N.SHAW ने कहा…

akele chalane me hi maja hai.ekala chalo ,ekala chalo,ekala chalo re.......(Rabindra nath tagore )