जीवन में गर चाहो बढ़ना,
माँ की पूजा करना.
माँ जो चाहे तुमसे प्यारे,
वही काम तुम करना.
माँ के आशीर्वाद को पाकर,
जब तुम कहीं भी जाओगे.
मनमाफिक हो काम तुम्हारा,
खुशियाँ सारी पाओगे.
कोई काम करने से पहले माँ का कहा ही करना,
माँ जो चाहे तुमसे प्यारे वही काम तुम करना.
माँ ने ही सिखलाया हमको,
बड़ों की सेवा करना.
करनी पड़े मदद किसी की,
कभी न पीछे हटना.
करो सहायता यदि किसी की अहम् न इसका करना,
माँ जो चाहे तुमसे प्यारे वही काम तुम करना.
शालिनी कौशिक
3 टिप्पणियां:
very nice post .
बहुत सुन्दर भाव की रचना .भगवान् ऐसा ही हो हर माँ ऐसे ही संस्कार दे अपने बच्चों को .बाल गीत और बाल कविताओं का दौर फिर से उमगता देख कर तसल्ली होती है .
मुझे क्षमा करे की मैं आपके ब्लॉग पे नहीं आ सका क्यों की मैं कुछ आपने कामों मैं इतना वयस्थ था की आपको मैं आपना वक्त नहीं दे पाया
आज फिर मैंने आपके लेख और आपके कलम की स्याही को देखा और पढ़ा अति उत्तम और अति सुन्दर जिसे बया करना मेरे शब्दों के सागर में शब्द ही नहीं है
पर लगता है आप भी मेरी तरह मेरे ब्लॉग पे नहीं आये जिस की मुझे अति निराशा हुई है
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