किसने लिखा है भाल पर भारत के वन्दे मातरम्,
यह कौन उषाकाल में गाता है वन्दे मातरम्।
हम हैं अभी पहने हुए अंग्रेजियत की बेड़ियाँ,
बस व्यंग्य सा लगता है हमको मित्र वन्दे मातरम्।
हो दासता से मुक्त अपनी भारती माँ भारती,
होगा तभी तो सत्य शाश्वत घोष वन्दे मातरम्।
इस देश में अब देशहित की बात होती ही नहीं,
बस चल रहा है राम भरोसे भारत वन्दे मातरम्।
है धार्मिक उन्माद की ऐसी पराकाष्ठा यहाँ,
कुछ लोग कहने को नहीं तैयार वन्दे मातरम्।
न्यायालयों, कार्यालयों में हैं सहस्त्रों रिक्तियाँ,
भरता नहीं कोई उन्हें निस्वार्थ वन्दे मातरम्।
आत्मा हमारी मर गई परमात्मा भी खो गया,
हावी है सुविधा शुल्क सिद्धि स्वार्थ वन्दे मातरम्।
हिन्दी है हिन्दुस्तान में परित्यक्त पत्नी की तरह,
अंग्रेजियत है प्रेमिका सत्ता की वन्दे मातरम्।
जो देश हम पर कर रहा आतंकियाँ हमले हितेश,
हम साथ उसके खेलते क्रिकेट वन्दे मातरम्।
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हितेश कुमार शर्मा
गणपति काम्पलैक्स, सिविल लाइन्स,
बिजनौर, पिन-246701 (उ0प्र0)
यह कौन उषाकाल में गाता है वन्दे मातरम्।
हम हैं अभी पहने हुए अंग्रेजियत की बेड़ियाँ,
बस व्यंग्य सा लगता है हमको मित्र वन्दे मातरम्।
हो दासता से मुक्त अपनी भारती माँ भारती,
होगा तभी तो सत्य शाश्वत घोष वन्दे मातरम्।
इस देश में अब देशहित की बात होती ही नहीं,
बस चल रहा है राम भरोसे भारत वन्दे मातरम्।
है धार्मिक उन्माद की ऐसी पराकाष्ठा यहाँ,
कुछ लोग कहने को नहीं तैयार वन्दे मातरम्।
न्यायालयों, कार्यालयों में हैं सहस्त्रों रिक्तियाँ,
भरता नहीं कोई उन्हें निस्वार्थ वन्दे मातरम्।
आत्मा हमारी मर गई परमात्मा भी खो गया,
हावी है सुविधा शुल्क सिद्धि स्वार्थ वन्दे मातरम्।
हिन्दी है हिन्दुस्तान में परित्यक्त पत्नी की तरह,
अंग्रेजियत है प्रेमिका सत्ता की वन्दे मातरम्।
जो देश हम पर कर रहा आतंकियाँ हमले हितेश,
हम साथ उसके खेलते क्रिकेट वन्दे मातरम्।
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हितेश कुमार शर्मा
गणपति काम्पलैक्स, सिविल लाइन्स,
बिजनौर, पिन-246701 (उ0प्र0)
1 टिप्पणी:
हमारे सामाजिक व राजनीतिक परिवेश में व्याप्त दोहरेपन की काली खोलती सशक्त रचना .
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