03 मई 2010

दिव्या गुप्ता जैन की कविता -- "बिटिया"

दिव्या गुप्ता जैन द्वारा भेजी गई कविता --- "बिटिया"

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एक गुडिया के कच्चे रुई के फाहे सी है बिटिया

कभी उछ्लकर कभी बिदककर आटे की चिडिया है बिटिया
नन्हे पावों की धीमी थाप है बिटिया
सर्दी में गर्म रोटी की भाप है बिटिया
बिटिया संगम का गंगाजल है
बिटिया गरीब किसान का हल है
चूडियों की खनक , पायलों की झंकार है बिटिया
झरने की मद्दम फुहार है बिटिया
कभी धुप कभी छाव कभी बरसात है बिटिया
गर्मी में पहली बा...रिश की सौगात है बिटिया
चिडियों की चहचाहट कोयल की कूक है बिटिया
हो जिसमे सबका भला वो प्यारा सा झूठ है बिटिया
और किसी मुश्किल खेल में मिलने वाली जीत है बिटिया
दिल को छु जाए वो मधुर गीत है बिटिया
माँ की एक पुकार है बिटिया
मुस्काता एक त्यौहार है बिटिया
सच बोलूं तो बिटिया पीडा की गहरी घाटी है
क्या किसी ने उसकी पीडा रत्ती भर भी बांटी है
अरमानो के काले जंगल उसको रोज जागाते हैं
हम, बिटिया कैसी हो कह कर चुप चाप सो जाते हैं
हर दुःख को हंसते हंसते बिन बोले सह लेती है
पूरे घर में खुशी बिखेरे बिटिया दुःख में रह लेती है।

4 टिप्‍पणियां:

सुधाकल्प ने कहा…

भाव की दृष्टि से कविता सराहनीय है I
सुधा भार्गव
sudhashilp.blogspot.com
subharga@gmail.com

रेखा श्रीवास्तव ने कहा…

अब भूल जाओ कि दुःख कि पोटली है बिटिया.
अब क्षीण पड़ने लगे हैं कुलदीपक
रोशन घर को करने लगी कुल्ज्योती,
दो घरों के बीच में सामंजस्य बिठाये
बहू और बेटी को निभा रही है बिटिया.

Unknown ने कहा…

Bahut sunder !!

दीपक 'मशाल' ने कहा…

bhavpaksh majboot hai..