माँ को समर्पित दिव्या गुप्ता जैन की कविता --- "माँ"
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भगवान का दूसरा रूप है माँ,
उसके लीए दे देंगे जान,
हमको मिलता जीवन उससे,
क़दमों मैं है स्वर्ग बसा,
संस्कार वो हमें सिखलाती,
अच्छा बुरा हमें बतलाती,
हमारी गलतियों को सुधारती,
प्यार हम पर बरसाती,
तबियत अगर हो जाये ख़राब,
रात-रात भर जागते रहना,
माँ बिन जीवन है अधूरा,
खाली- खाली, सूना-सूना,
खाना पहले हमें खिलाती,
बाद मैं वह खुद है खाती,
हमारी ख़ुशी मैं खुश हो जाती,
दुःख मैं हमारे, आंसू बहाती,
कितने खुशनसीब है हम,
पास हमारे है माँ,
होते बदनसीब वे कितने,
जिनके पास ना होती माँ!!
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दिव्या गुप्ता जैन
1 टिप्पणी:
सुन्दर....सराहनीय......बधाई!
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माँ के चरणों तले भू-गगन है।
माँ के चरणों तले ही अमन है॥
और की क्यों करूँ वन्दना मैं-
मातृवन्दन ही भगवत् भजन है॥
सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी
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