04 सितंबर 2009

लघुकथा -रास्ता

रास्ता

'अंकल को पार्किन्सन की बीमारी हो गयी है !'
'उसी के बारे में सोच रही हूँ मेरी डाक्टर भांजी !'
'क्या सोचा ?'
'यही की भगवान् मेरी कड़ी परीक्षा लेने वाले हैं !'
'२-३ सालों में ही आपको निश्चित कर लेना होगा --कहाँ रहेंगी !अपने बच्चों से इस बारे में खुलकर बातें कर लीजिए !'
'तुम मेरी शुभ चिन्तक हो !इसीलिए तुमसे एक बात कहना चाहती हूँ !ऊपर वाले से दुआ करना की तुम्हारे अंकल स्वस्थ हो जाएँ और वह मुझे इतनी शक्ति दे की चट्टान को भी तोड़कर अपना रास्ता बना लूँ !'

कोई टिप्पणी नहीं: