07 अप्रैल 2010

गीतिका तज बंदूकें लो पिचकारी संजीव 'सलिल'

पिचकारी

तज बंदूकें लो पिचकारी
तभी लगेगी दुनिया प्यारी

पुण्य हवन का वह पाएगा
जो सुलगायेगा अग्यारी.

महाजनी के नहीं रहे दिन
व्यापारी करता मक्कारी.

संसद में जो भाषण देते
बाहर वे करते बटमारी

लाल गुलाल गाल पर मल दें
'सलिल' हँसे कश्मीरी क्यारी/

1 टिप्पणी:

दिलीप ने कहा…

vaah Sanjeev ji kya baat kahi...


http://dilkikalam-dileep.blogspot.com/