24 अप्रैल 2011

उचित निर्णय युक्त बनाना

जो बनते हैं सबके अपने,

निशदिन दिखाते हैं नए सपने,

ऊपर-ऊपर प्रेम दिखाते,

भीतर सबका चैन चुराते,

ये लोगों को हरदम लूटते रहते हैं,

तब भी उनके प्रिय बने रहते हैं.

ये करते हैं झूठे वादे,

भले नहीं इनके इरादे,

ये जीवन में जो भी पाते,

किसी को ठग के या फिर सताके,

ये देश को बिलकुल खोखला कर देते हैं ,

इस पर भी लोग इन पर जान छिड़कते हैं.

जब तक ऐसी जनता है,

तब तक ऐसे नेता हैं,

जिस दिन लोग जाग जायेंगे,

ऐसे नेता भाग जायेंगे,

अब यदि चाहो इन्हें हटाना,

चाहो उन्नत देश बनाना,

सबसे पहले अपने मन को,

उचित निर्णय युक्त बनाना.

shalini kaushik


1 टिप्पणी:

सुधाकल्प ने कहा…

कविता के भाव अच्छे हैं।
सुधा भार्गव