तुम सिर्फ़ एक अहसास हो ........
अगर तुम्हें पाना इक ख्वाब है !!
तुम्हारी चूडियों की खनक ,
अगर मेरी जंजीरें हैं....,
तो भी उन्हें तोड़ना फिजूल है !!
अहसास का तो कोई अंत नहीं होता ,
अगरचे ख्वाहिशों का ,
कोई ओर-छोर नहीं होता !!
मौसम के बगैर बारिश का होना ,
ज्यादातर तो इक कल्पना ही होती है ,
कल्पनाओं का भी तो कोई ओर-छोर नहीं होता,
और तुम ...तुम तो खैर सिर्फ़ एक अहसास हो !!
तुम हवाओं की हर रहगुजर में हो ....
तुम हर फूल की बेशाख्ता महक-सी हो ....
साथ ही किसी चिंगारी की अजीब-सी दहक भी....
तुम ख्यालों का पुरा जंगल हो...
और जंगल का हर दरख्त भी तुम हो ....
मगर ,तुम तो सिर्फ़ एक अहसास भर ही हो !!
तुम गहन अँधेरा हो...
तुम अपार उजाला भी हो ...
तुम उदासी की गहरी खायी हो ...
खुशियों का चमचमाता आकाश भी ...
तुम जो भी हो ....
अगर तुम सिर्फ़ इक अहसास ही हो...
तो मुझमें सिर्फ़ अहसास ही बन कर रहो ना...!!!
1 टिप्पणी:
behtareen abhivyakti..!
एक टिप्पणी भेजें