18 फ़रवरी 2010

राम निवास 'इंडिया' की ग़ज़ल - आतंकवाद - द्वादश

-:आतंकवाद-द्वादश:-
शोणित की धारा बहे छाया है उन्माद।
दुश्मन सब से बड़ा है घातक आतंकवाद॥
पता न चलता राह में कहाँ पड़ा है बम।
कब कैसे फट जाएगा और रहें ना हम॥

डरा हुआ इंसान है सहमा है भगवान्।
विस्फोटों के सामने मूक खडा बलवान॥

दुर्जन सज्जन सृष्टि के दोनों ही हैं अंग।
मातम देता एक सदा दूजा देत उमंग॥

मानव दानव बन गया लेकर के आतंक।
काँप रहे जितने यहाँ सच्चे साधू संत॥

सदिओं से होता रहा दानवीय उत्पात।
ले लिया उसकी जगह मानवीय अब घात॥

कुल कलंकित सदा करे आतंकी अभियान।
अच्छा कुल का भी करे गंदा जैसा मान॥

जिसका नीचा कर्म हो नीच उसी को जान।
निज पुरुषों का किया करे सदा कलंकित शान॥

आती गंदे खून से आतंकवादी वास।
करता सदा कुकर्म जो उसमे कहाँ सुबास॥

उससा पापी कौन है जो देता संताप।
पर पीडा हेतू बने करो ना उसको माफ़॥

आतंकवादी कर्म है सबसे नीचा कर्म।
वह निर्ल्लज इसको करे जिसे न आती शर्म॥

दहशत की अब आग से जल रहा है देश।
नफरत की आंधी चली प्यार रहा ना शेष॥

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राम निवास 'इंडिया'
RAM NIWAS 'INDIA'
GEETKAR
342-A,JOSHI ROAD
NEW DELHI-110005
CELL NO.09971643847

1 टिप्पणी:

Dr.Aditya Kumar ने कहा…

शोणित की धारा बहे छाया है उन्माद।
दुश्मन सब से बड़ा है घातक आतंकवाद॥
पता न चलता राह में कहाँ पड़ा है बम।
कब कैसे फट जाएगा और रहें ना हम.
good expression