28 जून 2009

डॉ0 अनिल चड्डा की ग़ज़ल - बनाएँ क्यों उन्हे सनम !


यूँ ही तो चुप नहीं हैं हम,
कोई तो होगा हमको ग़म ।

जमाने की हवा ऐसी,
नहीं करता कोई शरम ।

तू वक्त की ज़ुबाँ समझ,
कभी न रोक तू कदम ।

नमक ज़ख्मों पे जो छिड़कें,
दिखाएँ क्यों उन्हे ज़ख्म ।


जो दिल की बात न जाने,
बनाएँ क्यों उन्हे सनम ।

-- डा0अनिल चड्डा
http://anilchadah.blogspot.com
http://anubhutiyan.blogspot.com

1 टिप्पणी:

Shiv Kumar Sahil ने कहा…

जो दिल की बात न जाने,
बनाएँ क्यों उन्हे सनम ।

Kitni khubsurat Ghazal hein kam se kam alfazon me kitni gahari Baat kahi gayi hein..
Bahut hi lazbaab Ghazal kahi hein ... meri basahi kabul kare Dr. Sahib.