डॉ0 अनिल चड्डा की ग़ज़ल - बनाएँ क्यों उन्हे सनम !
यूँ ही तो चुप नहीं हैं हम,
कोई तो होगा हमको ग़म ।
जमाने की हवा ऐसी,
नहीं करता कोई शरम ।
तू वक्त की ज़ुबाँ समझ,
कभी न रोक तू कदम ।
नमक ज़ख्मों पे जो छिड़कें,
दिखाएँ क्यों उन्हे ज़ख्म ।
जो दिल की बात न जाने,
बनाएँ क्यों उन्हे सनम ।
-- डा0अनिल चड्डा
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1 टिप्पणी:
जो दिल की बात न जाने,
बनाएँ क्यों उन्हे सनम ।
Kitni khubsurat Ghazal hein kam se kam alfazon me kitni gahari Baat kahi gayi hein..
Bahut hi lazbaab Ghazal kahi hein ... meri basahi kabul kare Dr. Sahib.
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