20 अगस्त 2009

सुधा भार्गव की दो लघुकथाएं - "भविष्य" "भूख"

1 - भविष्य --
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यदि दिल से दिल नहीं मिले और बोझा प्रतीत होने लगे तो सम्बन्ध बिच्छेद करदेना ही ठीक है !'
'दिल से दिल मिलता नहीं ,मिलाया जाता है !बोझ लगाने से पहले एक दूसरे को उसकी समस्त अच्छाइयों और बुराइयों के साथ अपनाया जाता है ,तभी शादी सफल होती है !'
'ठीक है .....ठीक है !एक बार पवन का तलाक हो गया तो इसका यह मतलब यह नहींकि दूसरी बार भी हो !पिछले कटु अनुभवों से उसने बहुत कुछ सीखा है !अब तलाक़ की नौबत नहीं आयेगी !तु मेरी बात मान ,उससे शादी कर ले !वह निहायत शरीफ और नेक इंसान है !'
'कैसे विश्बास कर लूँ भैया ,वह मुझे तलाक़ नहीं देगा !-----जब आप इतना कह रहे हैं तो मैं शादी करने को तैयार हूँ !लेकिन वैवाहिक रीति रस्मों के समय मेरी कुछ शर्तें होंगी १'
'कैसी शर्तें ?'
यही कि तलाक़ की परिस्थिति पैदा हो भी जाये तो मियां बीबी की कचहरी में किन बातों का मानना जरुरी होगा !विवाह के सात वचन भरने के साथ विवाह -विच्छेद के वचन भी निबाहने होंगे !'
'इस उधम बाजी से तुम्हे क्या मिलेगा '!
.'भविष्य की सुरक्षा !'
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2 भूख

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मैंने उसकी नन्ही हथेली पर एक सिक्का धरा और निश्चिंत हो गई !लेकिन वह सुबकते हुए बोला --'मैं तो भूखा ही रह जाऊंगा !'दूसरे दिन वह फिर मिला !मैंने उसकी हथेली पर चार रोटियां रख दीं !वह फिर सुबकने लगा --'इससे मेरी भूख मिट जायेगी पर बाप भूखा रह जाएगा !उसे शराब की भूख लगी है !'
मुझे दोनों चीजें देना मंजूर न था !मैं बोली--'कोई एक तो भूखा रहेगा ही !'
'मैं भूख बर्दाश्त कर सकता हूँ उसकी मार नहीं !'वह फिर सुबकने लगा !
यन्त्रवत एक हाथ उठा और बढ़ गया पर्स की ओर !

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