14 अप्रैल 2009

डॉ0 महेन्द्र भटनागर के काव्य-संग्रह राग-संवेदन की कविता - ममत्व


प्रसिद्ध साहित्यकार डा0 महेन्द्र भटनागर के काव्य-संग्रह ‘‘राग-संवेदन’’ का प्रकाशन यहाँ नियमित रूप से किया जा रहा है। सभी कविताओं के प्रकाशन के पश्चात यह पुस्तक शब्दकार पर ई-पुस्तक के रूप में देखी जा सकेगी।

-----------------------------------------------------------
लेखक - डा0 महेन्द्र भटनागर का जीवन परिचय यहाँ देखें
-----------------------------------------------------------
(2) ममत्व
-----------------------------
न दुर्लभ हैं
न हैं अनमोल
मिलते ही नहीं
इहलोक में, परलोक में
आँसू .... अनूठे प्यार के,
आत्मा के
अपार-अगाध अति-विस्तार के!
हृदय के घन-गहनतम तीर्थ से
इनकी उमड़ती है घटा,
और फिर ....
जिस क्षण
उभरती चेहरे पर
सत्त्व भावों की छटा --
हो उठते सजल
दोनों नयन के कोर,
पोंछ लेता अंचरा का छोर!
-------------------------------------
---------------------
सम्पर्क :
डा. महेंद्रभटनागर,
सर्जना-भवन,
110 बलवन्तनगर, गांधी रोड,
ग्वालियर — 474002 [म. प्र.]
फ़ोन : 0751-4092908
मो.: 09893409793
E-Mail : drmahendra02@gmail.com;
drmahendrabh@rediffmail.com
Blog :
www.professormahendrabhatnagar.blogspot.com

कोई टिप्पणी नहीं: