28 अप्रैल 2009

डा0 महेन्द्र भटनागर के काव्य-संग्रह राग-संवेदन की कविता - लम्हा


प्रसिद्ध साहित्यकार डा0 महेन्द्र भटनागर के काव्य-संग्रह ‘‘राग-संवेदन’’ का प्रकाशन यहाँ नियमित रूप से किया जा रहा है। सभी कविताओं के प्रकाशन के पश्चात यह पुस्तक शब्दकार पर ई-पुस्तक के रूप में देखी जा सकेगी।

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लेखक - डा0 महेन्द्र भटनागर का जीवन परिचय यहाँ देखें
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(4) लमहा
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एक लमहा
सिर्फ़ एक लमहा
एकाएक छीन लेता है
ज़िन्दगी!
हाँ, फ़क़त एक लमहा।
हर लमहा
अपना गूढ़ अर्थ रखता है,
अपना एक मुकम्मिल इतिहास
सिरजता है,
बार - बार बजता है।
इसलिए ज़रूरी है --
हर लमहे को भरपूर जियो,
जब-तक
कर दे न तुम्हारी सत्ता को
चूर - चूर वह।
हर लमहा
ख़ामोश फिसलता है
एक-सी नपी रफ्ऱतार से
अनगिनत हादसों को
अंकित करता हुआ,
अपने महत्त्व को घोषित करता हुआ!
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डा. महेंद्रभटनागर,
सर्जना-भवन,
110 बलवन्तनगर, गांधी रोड,
ग्वालियर — 474002 [म. प्र.]
फ़ोन : 0751-4092908
मो.: 09893409793
E-Mail :
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E-mail :
drmahendrabh@rediffmail.com
Blog :
www.professormahendrabhatnagar.blogspot.com

1 टिप्पणी:

abhivyakti ने कहा…

bhut achchhi rachna


gargi