(1)
“दो एकम दो दो दूनी चार”
दो एकम दो
दो दूनी चार
जल्दी से आ जाता
फिर से सोमवार ।
दो तीए छ:
दो चौके आठ
याद करो अच्छे से
अपना-अपना पाठ ।
दो पंजे दस
दो छेके बारह
आओ मिल कर बने
एक और एक ग्यारह
दो सत्ते चौदह
दो अटठे सोलह,
जिद नहीं करना
बेकार नहीं रोना
दो नामे अट्ठारह,
दो दस्से बीस,
करना अच्छे काम,
देंगें मात-पिता आशीष ।
(2)
“तीन एकम तीन तीन दूनी छ:”
तीन एकम तीन
तीन दूनी छ:
रोज-रोज नहा के,
साफ-सुथरा रह।
तीन तीए नौ,
तीन चौके बारह,
मेहनत करने वाला,
कभी नहीं हारा।
तीन पंजे पंद्रह,
तीन छेके अट्ठारह,
साफ दिल वाला,
कभी झूठ नहीं बोला।
तीन सत्ते इक्कीस,
तीन अट्ठे चौबीस,
हरदम रहना,
कक्षा में चौकस।
तीन नामे सत्ताईस,
तीन दस्से तीस,
कभी नहीं होना,
किसी से उन्नीस।
(3)
“चार एकम चार चार दूनी आठ”
चार एकम चार,
चार दूनी आठ,
मिल-जुल के खाना,
बराबर-बराबर बाँट।
चार तीये बारह,
चार चौके सोलह,
मुसीबत के वक्त,
होश नहीं खोना।
चार पंजे बीस,
चार छेके चौबीस,
मत हारना हिम्मत,
करते रहना कोशिश।
चार सत्ते अट्ठाईस,
चार अट्ठे बत्तीस,
मात, पिता, गुरूओं से,
लेना तुम आशीष।
चार नामे छत्तीस,
चार दस्से चालीस,
अन्तर्मन को हरदम,
रखना तुम खालिस।
- डा0 अनिल चड्डा
(हिन्द युग्म पर प्रकाशित)
7 टिप्पणियां:
bahut sundar sahab, badhai
अरे ये तो बहुत बढिया है..
pahade pasand aane kaa bahut bahut shukriya
VERY GOOD. KEEP IT UP...
VERY GOOD. KEEP IT UP...
वाकई सुंदर पहाडे लिखे हैं।याद रखने के लिए लय अच्छी है।
----जयेशकुमार ; पालनपुर-------
वाकई सुंदर पहाडे लिखे हैं।याद रखने के लिए लय अच्छी है।
----जयेशकुमार ; पालनपुर-------
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