मत बहाने बना
अपनी असफलता के लिए ;
जो दोष हैं तुझमें
बेझिझक उन्हें स्वीकार कर;
जिन्दगी से प्यार कर.
गिर गया तो क्या हुआ
गिरकर सम्भलते हैं सभी;
एक नया अध्याय खोल
हारी बाजी जीतकर;
जिन्दगी से प्यार कर.
मैं नहीं कुछ भी;
नहीं कर सकता कुछ भी अब कभी;
इस तरह न बैठकर
मौत का इंतजार कर;
जिन्दगी से प्यार कर.
4 टिप्पणियां:
very nice poem...bhut sundar
बहुत सुन्दर उत्साहित करती रचना।
Bahut hi marmic abhivyakti ke liye badhayi ho
prastuti ne jingdgi se pyar karna ek bar phir sikha diya.dhanyawad...
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