आशा की एक किरण
अँधेरे को चीरकर ,
आशा की एक बूँद
सूखी धरती को भिगोने ,
मेरी एक चीख
सन्नाटे को फाड़कर ,
आयेगी- आयेगी-आयेगी ,ऐसा मेरा विश्वास है ।
हर निर्दोष को
न्याय मिल सकेगा ;
हर कातिल को
दुष्कर्म का फल मिलेगा ,
हर मासूम
सुख की नींद सो सकेगा ,
ऐसा होगा -ऐसा होगा -ऐसा होगा ,ऐसा मेरा विश्वास है .
4 टिप्पणियां:
aapka vishwas poorn roop se safal ho aisee hi kamna hai.achchhi prastuti..
आपके विश्वास को पूर्णता मिले।
सन्नाटे को फाड़कर ,
आयेगी- आयेगी-आयेगी ,ऐसा मेरा विश्वास है ।
और आपके विश्वास को पूर्णता प्राप्त हो ....
bahut sundar kavita...
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