वो कली जब गोद आई ,
साँस थी महक गयी ,
धीरे से जब मुस्कुराई ;
मोती से झोली भर गयी ,
'माँ' कहा उसने मुझे ;
मुझको तो जन्नत मिल गयी ,
उंगली पकड़ कर जब चली;
खुशिया ही खुशिया छा गयी ,
है मुझे गर्व खुद पर ;
था लिया निर्णय सही ,
भ्रूण हत्या को किया था ;
द्रढ़ता से मैंने नहीं,
जो कही कमजोर पड़कर
दुष्कर्म मै ये कर जाती ,
फिरकहाँ नन्ही कली
कैसे मेरे घर खिल पाती ,
ये महकेगी ,ये चहकेगी ,
सारे घर की रौनक होगी ,
मेरी बिटिया की किलकारी
पूरी दुनिया में गूंजेगी .
2 टिप्पणियां:
बेहतरीन कविता के लिए बधाई, आप शब्दकार को अपना सहयोग निरंतर देती रहेंगी, ऐसी आशा है...
meri bitiya ki kilkari,
poori duniya me goonjegi.
beti ke prati yahi bhav yadi sab ke man me bas jayen to is duniya se beti ki rah ki sabhi mushkilen hat jayen.....bahut sundar bhavpoorn kavita...
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