31 जनवरी 2011

ऐसा मेरा विश्वास है !

आशा की एक किरण
अँधेरे को चीरकर ,
आशा की एक बूँद
सूखी धरती को भिगोने ,
मेरी एक चीख
सन्नाटे को फाड़कर ,
आयेगी- आयेगी-आयेगी ,ऐसा मेरा विश्वास है ।
हर निर्दोष को
न्याय मिल सकेगा ;
हर कातिल को
दुष्कर्म का फल मिलेगा ,
हर मासूम
सुख की नींद सो सकेगा ,
ऐसा होगा -ऐसा होगा -ऐसा होगा ,ऐसा मेरा विश्वास है .

4 टिप्‍पणियां:

Shalini kaushik ने कहा…

aapka vishwas poorn roop se safal ho aisee hi kamna hai.achchhi prastuti..

vandana gupta ने कहा…

आपके विश्वास को पूर्णता मिले।

केवल राम ने कहा…

सन्नाटे को फाड़कर ,
आयेगी- आयेगी-आयेगी ,ऐसा मेरा विश्वास है ।


और आपके विश्वास को पूर्णता प्राप्त हो ....

neelima garg ने कहा…

bahut sundar kavita...