"रिश्ते"
(1)
कल रात
एक और रिश्ते की
मौत हो गई
पड़ोस में
अतिवेदना के स्वर
कुत्ते-बिल्ली का रोना था
सुबह-सवेरे उठ कर
कोई नया रिश्ता जोड़ना था
तकियों में सिर छुपाये
लंबी तान सो रहे
भई
किसे फुर्सत है मरने की
मिट्टी परआँख भरने की !
(2)
एक बार फिर
कोई रिश्ता मर गया
उम्र भर
जिसने चूमा-चाटा
साथ सुलाया
उससे ही
भरी भीड़ में
डर गया !
-डा0 अनिल चड्डा
3 टिप्पणियां:
रिश्ते की अनूठी परिभाषा.
अत्यंत मार्मिक रचना...सच है
पाँडेजी एवँ अर्चनाजी,
रचना आपको पसन्द आई, मन को अच्छा लगा । प्रोत्साहन के लिये आभारी हूँ ।
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