13 मार्च 2009

धर्मेन्द्र त्रिपाठी की कविता - तुम्हारी याद


कभी खुशबु सी आती है ....
तो महक उठतीं हैं यादें ....
छा जाती है सुनहरी सी .....
वो एक अक्स उभरता है ....
ये दिल मशरूफ रहता है उस लम्हे मैं ....
अभी है वो पास ....
जैसे कह रहा है कुछ ख़ास .....
जो कभी कहा था उसने ....
बस एक एहसास ही है बाकी .....
जो हर रोज रहता है ....
है चेहरे पर मेरे ख़ुशी ....
वही जो तब तुम्हारे चेहरे पर भी थी .....
है हर वो पल भी इस लम्हे ....
जो तब जिया था तुम्हारे साथ ....
क्या करूँ आती है अब अक्सर तुम्हारी याद .....

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