01 जुलाई 2009

अजीत श्रीवास्तव द्वारा जानकारी के लिए कुछ बुन्देली शब्द

खेल
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कुश्ती, छड़ी गतका, पटाबनैती, चांचर, झूला, गढ़ागेंद, गुल्लीडंडा, गड़का, कोड़ा दिमानसाई, नागन तापू, आती, पाती, कबड्डी, गुपना, मामुलिया अण्डा डाबरी, नौरता, आंख मिचैल, कंचा मलखंब अष्टाचंगा, पड़ाछिक उअल, सात गोटें, चपेटा हीकड़ी, दंगल, आइसपाइस, छुवा, सतखपड़ी।
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व्यंजन
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ठेंठरा, फरा, रसखीर, महेरी, गुड़ला, लटा लड़ुआ, लप्सी, मिरचुन, डुबरी, ठलूला, चीला (बबरा) रसखीर, मसूसा, कोंई, लपटा, इंदरसे, गुलगुला, दईबड़ा, बरा, गुना, सिंघारपाग, बावर, खींचला, पापर, गुजियां, तुरबा, मुरका, कूचा, सतुआ, मालपुआ, पंजीरी पुआ, खुरमा, सेब, कुमड़खीर, फांके, गकईयां, निगौना, सन्नाटा, पपईयां, खजुलियां, मांड़े, पनफतू भूंजा लोल कुचईयां, घोरूआ, मठरी, कड़ी, अधरेनू, लुचई, हलवा, कसार, अदरैनी, मीड़ा, समूदी रोटी, गकईया, मीड़ा बतियां, बाटीं, कालोनी, खाजा, बतासफेनी , तिलावर, तसमई, रामरोट आदि।
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लोकदेवता
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कारसदेव, पठानबाबा, हरदौल, गौसाई बाबू, मेहतरबाबा, गौसाइन माता, सती चैरा , नट बाबा, वर्वरीक, गौड़, रावबाबा, कल्याण सिंह, बहुला माता, घटौरिया दरयाव सिंह बाबा, रक्कस बाबा, गेवड़े के देवता कचिया मसान, भैंसासुर, खैरापति, कुलदेवता, आसमाई, बीजा सेन, वरमदेव, घटौरिया, पीरबाबा, खातीबाबा।
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त्यौहार
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जवारे, गनगौर, रामनवमी, पजूने पूनों, अख्ती, बराबरसात, खेर बहेर, भड़रियानमें, कनघूसों नमें, सावनतीज, तीजा गनेश चैथ, पुरखां, मामूलिया, दशदौ, शरद की पूनौ, करवा चैथ, दीवाई, गोदनबाबा, दोजें, इच्छानोमी, ग्यारस, विवाहपंचमी, सकरात, संकट चतुर्थी एकादशी, बसंतपांचे, होरी मां लक्ष्मी, नौरता कजलियां आदि।
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लोकगीत
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गारी, फागें, छंद, लमटेरा, बिलवाई ख्याल, मामुलिया, सैरे, आल्हा, नौरता, सावन, दिवारी राछरौ, कार्तिक गीत, राई, गोटे, कीर्तन, भजन, बनरा, दादरा सोहर, ख्याल, ढिमरयाई, ठुमरी, टप्पा, गजल, लावनी, कजरी, पंडवा, साउन, भक्ते, बधाब, कांडरा।
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वाद्ययंत्र
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ढोलक, मंजीरा, झांझे, पखावज, चैताल, हारमोनियम, इकतारा, झेला, रमतूला, तुतल्या शैनाई, ढांक, मटका, कांच, खड़क, चमीटा, रूं-रूं, बांसुरी, नगारो, खरताल, बैजो, वायलिन, नगड़िया, सारंगी, खंजरी, ढोला, केंकड़िया, ताली चंग, मंजीरा, सारंगी।
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नृत्य
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मौनिया, दिवाली, कार्तिक बाबा के, राई ज्योनार, जवारे, ढिमरया, धोबी नृत्य, दिलदिल घोड़ी, रावला, स्वांग, गड़रियाई, घूरालोट, सड़क पछाड़, कांड़रा, टेसू।
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गहना
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छीताफली पैजनिया, पैजना, हसंली, चम्पौं, बाजूबंद, करधनी, बिंदली, मछरियां, बिछिया, मोहनमाला, चनौटा, एंठी, छीता, इमरती, पायल, चूरा बोटा, पायजेब, तोड़ा, घुंसी, झांझे, लच्छा, ककना, बैंदा, बजुल्ला, बेल, चूड़ी, छैल चूड़ी, कंगना, चूड़ियां कचारा गच्छा, सुरक्का चूड़ी, गजरियां, छन्नी, पटेला, चूरा, गजरा, दौरी, डारें, बखौरा, बखौरियां, छला, बरा, नौगरई गुंजे, कंकन, हतपोशा, मुदरी, दस्तबंद, बाजूबंद, अंगूठी, पैंती, छापें, अनन्त, पोंचियां, मकरपेटी, पहा, डुलनियां, हा, बाला, झाला ऐरंग, हार, माला, गुलूबंद, जबारी, खंगौरिया सांकर, टकयावर, कठला, लल्लरी, तबिजिया, बिचैली, कंठा, चंद्रहार, पचलरा, गुंज, गोप, झुमकी मुरकी, नथनी, पुंगरिया, कीलें, झूमर, लाला, कुण्डल।
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नदियाँ
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चम्बल, क्वारी, सिंध, महुआ, पहुज सहजाद, बेतवा, धसान, केन, नर्मदा, यमुना, टोंस, सोंन (टमसा) सजनाम पटना नदी, ब्यारमा, मिढ़ासन, उर्मिल, श्यामरी बन्ने बेरमा, जामनी, जमड़ार, सुनार, पयस्वनी, परासरी, बीना बीला (काठन) सुखनई, भांडेर नदी, केयना, दुगरई सोनार पतने, कालीसिंध।
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साहित्यकार
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आचार्य केशवदास, मतिराम, भूषण, बिहारी पदमाकर, परमानंद प्रधान, सियारामशरण गुप्त, वियोगी हरि मुंशी अजमेरी, जगनिक, ईसुरी, मैथलीशरण गुप्त, वृन्दावन लाल वर्मा, अंबिका प्रसाद ’दिव्य’, डा0 रामकुमार वर्मा, डा0 आनन्द रसिक विहारी, रसिकेन्द्र, घासीराम व्यास, गंगाधार व्यास, घनश्याम दास पाण्डेय, बनारसी दास चतुर्वेदी, गंगाप्रसाद ’बरसैंया’ ख्यालीराम गुणसागर सत्यार्थी, दुर्गेश दीक्षित, विष्णुंखरे, पं0 गौरीशंकर द्विवेदी, नाथूराम ’माहौर’, गुमान त्रिपाठी, ’मान’, महबूब कवि, दीवान प्रतिपाल सिंह, ’मदनेश’ नर्मदा प्रसाद गुप्त।
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बुन्देली बोली के प्रकार
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मरैठी, डंगई, सगरयाऊ, चैरासी की बोली मालए की बोली, पंवारी, भदौरी, गढ़ा की बोली, लुदयाऊ (लुधांती) रठोंय (रठौरा) खटोला की बोली तवरघारी, लोधी, कुम्हारी गावली, चमारी, बनाफरी, कोष्ठी, तिरहारी, अन्तर्पठा गहोरापठा, कुड़री, जूरा, जाड़, पावकी, गौड़वानी हिडोला की बोली।
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अजीत श्रीवास्तव
’राजीव सदन’ नायकों का मुहल्ला
टीकमगढ़(म0प्र0) पिन-472001
मो0-9926869545

1 टिप्पणी:

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

बहुत बढिया जानकरी. साहित्यकारों के कौलम में कुछ महत्वपूर्ण नाम छूट गये हैं. जैसे भैयालाल व्यास और रामरतन अवस्थी. उसी प्रकार संगीत के क्षेत्र मे असगरी बाई का नाम लेना भी ज़रूरी था.