मैंने अपने मन का द्वंद तुमसे कभी नहीं कहा ! मेरे हृदय का आलोड़न तुमने कभी नहीं सुना ! भावनाओं की भीड़ में मैं खो गया पर तुमने ढ़ूँढ़ने की कोशिश नहीं की ! मुझ मे होने वाला परिवर्तन यदि तुम चाहते तो मेरे नयन कटोरों में देख सकते थे ! मेरे चेहरे पर पढ़ सकते थे पर तुमने तो हमेशा मेरी अवहेलना की !उपेक्षा की दीवार में चिन दिया !बीच -बीच में व्यंग भरे तीरों से मुझे छेदते रहे !ऐसी उम्मीद न थी तुमसे कल बीत गया मगर मैं अपना कल नहीं भूलाकैसे भूल जाऊँ उमंगो पर छिड़का तेजाब ,कल्पना की टूटी सुनहरी कमान मैंने जब भी फूल से गीतों को गुनगुनाया तुमने उनकी कोमलता छीन ली ये खाई चोटें एक दिन में भरने वाली नहीं मैंने तो पैदा होते ही सुना तुम बड़े हो जब मैं बड़ा होने लगातो तुमसे यह सहा नहीं गया यह न समझना तुम हर हालत में मेरा प्यार पाने के अधिकारी हो यह कम भी हो सकता है लेकिन मैं ऐसा होने नहीं दूँगाएक न एक दिन ठीक हो जायेगा सब कुछ जन्मदाता मैं घर छोड़ रहा हूँ सुना तुमने !मैं जा रहा हूँ बस एक बार कह दो -आज का दिन शुभ हो मेरे पंख निकल आये हैं उड़करअपनी छिपी जीत खोजूंगा छोटी हो या बड़ी अपनी लड़ाई खुद लडूंगा मुझे न रोकना ,न आँसू बहाना मुझे अपना रास्ता ढ़ूँढ़ने दो मैं बहती हवाओं को देखना,छुना ,सुनना चाहता हूँ ऐसे समय में मुझे खौफ ,खतरा शंकाएँ घेर सकती हैं फिर भी अपनी हंसी के लिए हसूंगा ,अपनी खुशी के लिए नाचूँगा सोच रहे हो बहुत बोलता हूँ लेकिन बोलने दो
मैं अपना संसार खोजने जा रहा हूँ बिखरे सपनों को भी बटोरना है अपनी किश्ती को खेते समय तुम्हारी यादें हर पल साथ रहेंगीजिनका आलोक मेरे लिए काफी है विकास मंच की ओर कदम बढ़ रहे हैं भूले से भी आवाज न देना थोड़ासब्र करना होगा एक दिन मैं लौटूँगा अवश्य लेकिन कुछ बनकर
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सुधा भार्गव
जे -७०३ इस्प्रिंग फील्ड,
# १७/२०, अम्बालीपुरा विलेज,
बेलेंदुर गेट सरजापुर रोड,
बंगलौर-५६०१०२
01 जुलाई 2009
सुधा भार्गव की रचना - किशोर डायरी का एक पन्ना
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