कवि डॉ० महेन्द्र भटनागर का जीवन परिचय यहाँ देखें
(9) जीवन्त
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दर्द समेटे बैठा हूँ!
रे, कितना-कितना
दुःख समेटे बैठा हूँ!
बरसों-बरसों का दुख-दर्द
समेटे बैठा हूँ!
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रातों-रातों जागा,
दिन-दिन भर जागा,
सारे जीवन जागा!
तन पर भूरी-भूरी गर्द
लपेटे बैठा हूँ!
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दलदल-दलदल
पाँव धँसे हैं,
गर्दन पर, टख़नों पर
नाग कसे हैं,
काले-काले ज़हरीले
नाग कसे हैं!
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शैया पर
आग बिछाए बैठा हूँ!
धायँ-धायँ!
दहकाए बैठा हूँ!
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डा. महेंद्र भटनागर,
सर्जना-भवन,
110 बलवन्तनगर, गांधी रोड,
ग्वालियर — 474002 [म. प्र.]
फ़ोन : 0751-4092908
मो.: 09893409793
E-Mail : drmahendra02@gmail.com
E-mail : drmahendrabh@rediffmail.com
Blog : www.professormahendrabhatnagar.blogspot.com
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