18 मई 2009

डा0 महेन्द्र भटनागर के काव्य-संग्रह राग-संवेदन की कविता - निरंतरता


प्रसिद्ध साहित्यकार डा0 महेन्द्र भटनागर के काव्य-संग्रह ‘‘राग-संवेदन’’ का प्रकाशन यहाँ नियमित रूप से किया जा रहा है। सभी कविताओं के प्रकाशन के पश्चात यह पुस्तक शब्दकार पर ई-पुस्तक के रूप में देखी जा सकेगी।

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लेखक - डा0 महेन्द्र भटनागर का जीवन परिचय यहाँ देखें
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निरन्तरता
हो विरत ...
एकान्त में,
जब शान्त मन से
भुक्त जीवन का
सहज करने विचारण --
झाँकता हूँ
आत्मगत
अपने विलुप्त अतीत में --
चित्रावली धुँधली
उभरती है विशृंखल ... भंग-क्रम
संगत-असंगत
तारतम्य-विहीन!
औचक फिर
स्वतः मुड़
लौट आता हूँ
उपस्थित काल में!
जीवन जगत जंजाल में!
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डा. महेंद्रभटनागर,
सर्जना-भवन,
110 बलवन्तनगर, गांधी रोड,
ग्वालियर — 474002 [म. प्र.]
फ़ोन : 0751-4092908
मो.: 09893409793
E-Mail :
drmahendra02@gmail.com
E-mail :
drmahendrabh@rediffmail.com
Blog :
www.professormahendrabhatnagar.blogspot.com

3 टिप्‍पणियां:

Asha Joglekar ने कहा…

औचक फिर
स्वतः मुड़
लौट आता हूँ
उपस्थित काल में!
जीवन जगत जंजाल में ।

यथार्थ का सुंदर चित्रण ।

Dr. Mahendra Bhatnagar ने कहा…

आदरणीया,
आपने कविता के मर्म को समझा है। कृपया मेरा ब्लॉग देखिए।
**महेंद्रभटनागर

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

bahut sundar.